Russia Ukraine war: रूस-यूक्रेन युद्ध की जड़ कहां है? NATO पर क्यों गुस्साए रूसी राष्ट्रपति पुतिन- जानें पूरा मामला
यूक्रेन जंग ने कई देशों के रणनीतिक समीकरण को बदल कर रख दिया है। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह जंग कब तक चलेगी? इस जंग में क्या है पुतिन की रणनीति? रूसी राष्ट्रपति के इस कदम से क्यों बेचैन हैं यूरोपीय देश?
नई दिल्ली, जेएनएन। Ukraine war and European countries: अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर (Russia Ukraine War) हमला किया था। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन को यह उम्मीद थी कि वह यूक्रेन युद्ध को थोड़े दिनों में समाप्त कर देंगे। हालांकि, इस युद्ध में न तो यूक्रेन हार मानता दिख रहा है और न ही रूस पीछे हटता दिख रहा है। 90 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन से जान बचाकर पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं। दोनों देशों के बीच शुरू हुए इस युद्ध ने कई देशों के रणनीतिक समीकरण को बदल कर रख दिया है। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह जंग कब तक चलेगी? इस जंग में क्या है पुतिन की रणनीति? रूसी राष्ट्रपति के इस कदम से क्यों बेचैन हैं यूरोपीय देश? जंग में नाटो और अमेरिका की क्या है रणनीति।
यूक्रेन जंग खत्म होने के आसार कम, पुतिन हुए जिद्दी
विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यह युद्ध जल्द समाप्त होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि पुतिन ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। रूसी राष्ट्रपति यह कह चुके हैं कि उनका मकसद जेलेंस्की के यूक्रेन में नव-नाजी ताकतों को पूरी तरह से समाप्त करना है। प्रो पंत ने कहा कि पुतिन ने हाल में यह संकेत दिया था कि युद्ध खत्म करने की कोई तारीख तय करने का कोई तुक नहीं है। इससे यह पक्का माना जा रहा है कि पुतिन डोनबास तक ही नहीं रुकने वाले। उधर, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि रूस के पास इतनी मिसाइलें नहीं हैं, जितनी हमारे लोगों में जीने की चाहत है। हम अपनी हर चीज वापस लेकर रहेंगे। नाटो प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग का कहना है कि यह युद्ध काफी लंबा खिंचने वाला है और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
NATO कैसे बना इस जंग का प्रमुख कारण
प्रो पंत का कहना है कि अगर देखा जाए तो इस जंग की बुनियाद में नाटो (NATO) है। शीत युद्ध के दिनों में सोवियत संघ के खिलाफ बनाया गया नाटो लगातार अपना दायरा और प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने में जुटा रहा। वर्ष 2005 तक 11 देश नाटो संगठन में शामिल हो चुके थे। वर्ष 2007 में म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सचेत किया था कि नाटो के इरादे ठीक नहीं है। उस वक्त पश्चिमी देशों और अमेरिका ने रूस की बात को नजरअंदाज कर दिया था। वर्ष 2008 में नाटो शिखर सम्मेलन में अमेरिका ने यूक्रेन और जार्जिया के लिए इसकी सदस्यता के लिए पक्ष लिया। रूस के पड़ोसी यूक्रेन में पश्चिमी देशों की सक्रियता बढ़ने लगी। वर्ष 2014 में जब यूक्रेन में रूस समर्थक विक्टर यानुकोविच के खिलाफ प्रदर्शन को हवा दी तो रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। उसके समर्थक बागियों ने यूक्रेन के पूर्वी इलाकों को स्वायत्त घोषित कर दिया।
2020 में यूक्रेन नाटो का विशेष दर्जा प्राप्त देश घोषित
प्रो पंत ने कहा कि नाटो के विस्तार का सिलसिला यहीं नहीं रुका। वर्ष 2020 में तो उसने यूक्रेन को नाटो का विशेष दर्जा प्राप्त देश घोषित कर दिया। रूस से सटे ब्लैक सी में ब्रिटेन और अमेरिका के युद्धपोतों का आना-जाना बढ़ गया। अमेरिका और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को हथियार और सैन्य प्रशिक्षण देना जारी रखा। उधर, पुतिन के मन में सोवियत संघ वाला दबदबा एक बार फिर कायम करने की इच्छा जागृति हो गई। ऐसे में दोनों देशों के बीच यह जंग होनी तय थी। दक्षिण यूक्रेन में मारियूपोल और लुहांस्क पर रूसी सेना का दबदबा बढ़ा है। इससे ब्लैक सी क्षेत्र में नाटो को जवाब देने में रूस को आसानी होगी। राजधानी कीव तो रूस के कब्जे में नहीं आ सकी है, लेकिन यूक्रेन का पूर्वी और दक्षिणी इलाका उसके नियंत्रण में है। 20 फीसद से ज्यादा यूक्रेन पर रूस का कब्जा हो चुका है। अब पश्चिमी यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह पर रूसी बमबारी हो रही है।