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रोम में भी नमो-नमो, मोदी की प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात के क्या है कूटनीतिक मायने, जानें, एक्सपर्ट व्यू

मोदी की इटली और स्‍काटलैंड यात्रा के दौरान और कई देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के साथ मुलाकात भी करेंगे। मोदी की इस यात्रा के बड़े कूटनीतिक मायने हैं। प्रो. हर्ष वी पंत इस यात्रा को एक और अन्‍य नजरिए से भी देख रहे हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 31 Oct 2021 01:05 PM (IST)Updated: Sun, 31 Oct 2021 03:34 PM (IST)
रोम में भी नमो-नमो, मोदी की प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात के क्या है कूटनीतिक मायने, जानें, एक्सपर्ट व्यू
रोम में भी नमो-नमो, मोदी की प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात के क्या है कूटनीतिक मायने।

नई दिल्‍ली, आनलाइन डेस्‍क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार दिवसीय रोम यात्रा के बड़े निह‍ितार्थ हैं। इस यात्रा के दौरान मोदी अपने तमाम निर्धारित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इटली में मोदी जी-20 समिति में और स्‍काटलैंड में जलवायु परिवर्तन से जुड़े सम्मेलन में भी भाग लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की इटली और स्‍काटलैंड यात्रा के दौरान और कई देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के साथ मुलाकात भी करेंगे। मोदी की इस यात्रा के बड़े कूटनीतिक मायने हैं। जिस पर शायद की किसी की नजर गई है। प्रो. हर्ष वी पंत इस यात्रा को एक और अन्‍य नजरिए से भी देख रहे हैं।

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दुनिया में बढ़ा भारत का मान

1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि शुक्रवार को इटली की राजधानी रोम में जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्‍य स्‍वागत हुआ यह भारत की सफल कूटनीति का परिणाम है। भारत ने दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उन्‍होंने कहा कि करोना महामारी के दौरान भारत ने दुनिया के समक्ष अपनी क्षमता और उदारता को जो परिचय दिया उसका लोहा पूरी दुनिया ने माना। प्रो. पंत ने कहा कि महामारी के दौरान भारत ने मुल्‍कों को वैक्‍सीन की आपूर्ति में बढ़चढ़ कर हिस्‍सा लिया। भारत के इस प्रयास की खुद संयुक्‍त राष्‍ट्र ने प्रशंसा की। कोरोना महामारी के दौरान भारत की दुनिया में एक अलग छवि बनी, जिसे मोदी की इस यात्रा में देखा जा सकता है।

2- प्रो. पंत ने कहा कि नरेंद्र मोदी का काफिला जब रोम पहुंचा तो इटली के इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगियस खुद उनकी अगुवाई करने के लिए मौजूद थे। पीएम मोदी को यहां गार्ड आफ आनर भी दिया गया। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई। उन्‍होंने कहा कि यह भारत की कूटनीतिक दक्षता और बढ़ते कद का प्रतीक है। प्रो. पंत ने कहा कि इस यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन और मोदी की एक फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इस फोटो में बाइडन मोदी के कंधों में हाथ रखे हुए दिखते हैं। दोनों नेता अति प्रसन्‍न मुद्रा में हैं। इस फोटो में दोनों नेताओं ने अपनी एक मुठ्ठी को कस के बांध रखा है। ऐसा लग रहा है मानों दोनों नेता यह संदेश दे रहे हो कि भारत-अमेरिका दोस्‍ती बेहद प्रगाढ़ है। भारत और चीन के बढ़ते तनाव के बीच बाइडन का यह संदेश काफी मायने रखता है।

3- प्रो. पंत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी और पोप फ्रांसिस के बीच बैठक का समय केवल 20 मिनट निर्धारित था, लेकिन यह एक घंटे तक चली। यह एक अच्‍छा संकेत है। उन्‍होंने कहा कि पहली बार हुई इस आमने-सामने की बैठक के दौरान दोनों के बीच धरती को बेहतर बनाने के लिए उपायों पर चर्चा हुई। पोप फ्रांसिस ने महामारी के दौरान जरूरतमंद देशों को भारत की ओर से सहायता दिए जाने की सराहना की। पोप और मोदी के इस मुलाकात के कई निहितार्थ है। इसका संदेश भारत की आंतरिक राजनीति पर भी पड़ेगा। इस मुलाकात का भारत के ईसाई समुदाय के लोगों में एक अच्‍छा संदेश जाएगा। बता दें कि भारत में एक बड़ी आबादी रोमन कैथोलिक समुदाय के लोगों की है।

इसलिए भी अहम है मोदी की रोम यात्रा

उन्‍होंनें कहा कि यह बैठक इस लिहाज से भी अहम है क्‍यों कि इस बैठक में क्वाड के सभी सदस्‍य देश शामिल हो रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि यह बैठक इस लिहाज से उपयोगी है कि मोदी की मुलाकात क्वाड के सभी राष्‍ट्राध्‍यक्षों के साथ एक फ‍िर होगी। इसमें जापान और आस्‍ट्रेलिया के राष्‍ट्राध्‍यक्ष भी शिरकत कर रहे हैं। बता दें कि भारत चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए जापान और आस्‍ट्रेलिया के साथ मिलकर मजबूत आपूर्ति शृंखला विकसित करने पर काम कर रहा है।

इस लिहाज से भी मोदी की यह यात्रा बेहद उपयोगी है। इस समिति के बहाने एक बार फ‍िर मोदी जापान और आस्‍ट्रेलिया के राष्‍ट्राध्‍यक्षों से मुलाकात कर सकते हैं। इसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन भी शिरकत कर रहे हैं। यह समिति ऐसे समय हो रही है जब ब्रिटेन भारत सहित विश्व के 10 लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाने पर विचार कर रहा है। इसका मकसद चीन पर निर्भरता को कम करते हुए इन देशों के योगदान से एक सुरक्षित 5जी (5G) नेटवर्क का निर्माण करना है।


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