निरंतर मास्क पहनने से कोरोना महामारी पर किया जा सकता है नियंत्रण, शोधकर्ताओं का दावा
फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स पत्रिका में प्रकाशित शोध में फेस मास्क पर किए गए अध्ययनों की समीक्षा की गई है। इसमें इस बात की भी समीक्षा की गई है कि क्या फेस मास्क पहनने से किसी संक्रमित व्यक्ति से कोरोना के प्रसार पर अंकुश लग सकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस (कोविड-19) से पूरी दुनिया जूझ रही है। इस घातक वायरस से निपटने के लिए अभी तक कोई सटीक दवा या वैक्सीन मुहैया नहीं हो पाई है। ऐसे में बचाव के तौर पर मास्क पहनने, हाथ धोने और शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करने पर जोर दिया जा रहा है। इसी कवायद में अध्ययनों की एक समीक्षा में यह दावा किया गया है कि अगर 70 फीसद लोग निरंतर मास्क पहनें तो कोरोना महामारी रुक सकती है।
फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स पत्रिका में प्रकाशित शोध में फेस मास्क पर किए गए अध्ययनों की समीक्षा की गई है। इसमें इस बात की भी समीक्षा की गई है कि क्या फेस मास्क पहनने से किसी संक्रमित व्यक्ति से कोरोना के प्रसार पर अंकुश लग सकता है। सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी के विज्ञानी संजय कुमार ने बताया, 'सर्जिकल मास्क जैसे फेस मास्क सर्वाधिक कारगर पाए गए हैं। ये करीब 70 फीसद प्रभावी होते हैं। अगर करीब 70 फीसद लोग इस तरह के प्रभावशाली मास्क सार्वजनिक स्थलों पर पहने तो महामारी के उन्मूलन की राह प्रशस्त हो सकती है।'
उन्होंने कहा कि कपड़ों से बने मास्क भी अगर नियमित रूप से पहने जाएं तो कोरोना के प्रसार को धीमा किया जा सकता है। कोरोना की रोकथाम के लिए कपड़ों से निर्मित मास्क, सर्जिकल मास्क और एन95 जैसे मास्क इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अध्ययनों की समीक्षा में पाया गया है कि हाइब्रिड पॉलिमर मैटेरियल्स कणों को फिल्टर करने में सर्वाधिक प्रभावी होते हैं। विज्ञानियों के अनुसार, फेस मास्क का मुख्य काम खांसने, छींकने, सांस लेने और बातचीत के दौरान मुंह और नाक से निकलने वाले तरल कणों को फिल्टर करना होता है। पांच से दस माइक्रोन के कण आम होते हैं, जबकि पांच माइक्रोन से छोटे कण ज्यादा घातक हो सकते हैं।