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मामूली हवा के झौंकों से हिल जाए ऐसा कमजोर पेड़ नहीं है अफगानिस्‍तान- राष्‍ट्रपति गनी

अफगानिस्‍तान में शांति प्रक्रिया को लेकर चर्चा जोरों पर हो रही है। मई में अमेरिका अपने जवानों को यहां से पूरी तरह से हटाने की बात कह चुका है। इसलिए भी इसकी तैयारी जोर शोर से हो रही है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 10:38 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 10:38 AM (IST)
मामूली हवा के झौंकों से हिल जाए ऐसा कमजोर पेड़ नहीं है अफगानिस्‍तान- राष्‍ट्रपति गनी
शांति प्रक्रिया में सफलता की राह तलाश रहा अफगानिस्‍तान

काबुल (एजेंसी)। अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि उनका देश को मुलायम पेड़ नहीं है जिसको हवा का कोई भी झौंका हिला देगा, बल्कि वो जमीन पर टिका हुआ एक विशाल और मजूबत पेड़ है। ये बात उन्‍होंने अमेरिका के अफगानिस्‍तान सरकार को दिए गए शांति प्रस्‍ताव के बाबत कही थी। आपको बता दें कि अफगानिस्‍तान अमेरिका के इस शांति प्रस्‍ताव के मसौदे को पहले ही खारिज कर चुका है। राष्‍ट्रपति गनी का कहना है कि अफगानिस्‍तान हमेशा आजाद मुल्‍क रहेगा। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान के शांति को लेकर कई तरह की अफवाहें और प्‍लान सामने आ चुका है।

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टोलो न्‍यूज के मुताबिक राष्‍ट्रपति ने एक कमाल खान बांध के उद्घाटन समारोह के मौके पर कहा कि अफगानिस्‍तान के लोग पुराने दौर में वापस नहीं जाना चाहते हैं। मौजूदा समय में अफगानिस्‍तान पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की स्पष्ट नीति अपना रहा है। भविष्‍य में भी अफगानिस्‍तान को किसी के सामने भीख मांगने के लिए हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे। वहीं दूसरी तरफ तालिबान तुर्की में होने वाली शांति वार्ता पर अपनी निगाहें लगाए बैठा है।

तालिबान के प्रवक्‍ता मोहम्‍मद नईम का कहना है कि इस बारे में उन्‍हें अब तक कोई अपडेट हासिल नहीं हुआ है। दूसरी तरफ तालिबान के पूर्व नेता मावलावी कलामुद्दीन का कहना है कि यदि अमेरिका अफगानिस्‍तान से बिना शर्त देश छोड़कर नहीं जाता है, तो ये फैसला एक लंबी और बड़ी लड़ाई को जन्‍म दे देगा। अफगानिस्‍तान पीस नेगोसिएशन टीम के सदस्‍य फारुख मजरुह ने कहा है कि अफगानिस्‍तान शांति प्रक्रिया में अपना अहम किरदार निभाने को तैयार है।

उनके मताबिक अफगानिस्‍तान की शांति को लेकर अमेरिका ने जो ड्राफ्ट भेजा है उसको सभी सदस्‍यों को विचार के लिए भेजा गया है। अफगानिस्‍तान चाहता है कि यहां पर शांति हो और भविष्‍य के लिए सरकार का गठन हो। इस ड्राफट में अफगानिस्‍तान के भविष्‍य, भावी सरकार का गठन और सीजफायर का रोडमैप दिखाया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंगन ने राष्‍ट्रपति गनी को एक पत्र लिखकर उनसे अफगानिस्‍तान सरकार के गठन और शांति प्रक्रिया के तहत अन्‍य उपाय सुझाने की अपील की है। अपने तीन मसौदों में अमेरिका ने साफ किया है कि वो मई की शुरुआत तक अफगानिस्‍तान से अपने जवानों की पूरी तरह से वापसी का लपूरा मन बना चुका है।

उनके इस खत को हाई काउंसिल फॉर नेशनल रीकंसीलेशन के चेयरमेन अब्‍दुल्‍लाह अब्‍दुल्‍लाह को भेजा है। हालांकि नाटो के महासचिव जेन्‍स स्‍टोल्‍टेंबर्ग ने कहा है कि अफगानिस्‍तान का हल निकलना कोई आसान नहीं है। उन्‍होंने ये बात नाटो सदस्‍य देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में कही है। हालांकि उन्‍होंने ये भी कहा है कि नाटो अफगानिस्‍तान में होने वाली किसी भी तरह की शांति प्रक्रिया को अपना समर्थन और मदद देने के लिए तैयार है। इसकी वजह है कि केवल शांति बहाली से ही अफानिस्‍तान को विकास की राह पर आगे किया जा सकता है। जेन्‍स का का ये भी कहना है कि अफगानिस्‍तान को इस मौका का पूरा फायदा उठाना चाहिए। इसमें देरी करना भी सही नहीं होगा। आपको बता दें कि अफगानिस्‍तान में नाटो के करीब दस हजार सैनिक हैं।


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