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ताइवान में आम चुनाव: मतदान शुरू, परिणाम पर ड्रैगन की पैनी नजर, राष्‍ट्रपति पद के लिए वेन प्रबल दोवेदार

राष्‍ट्रपति चुनाव में त्‍साई इंग वेन अपने दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव मैदान में हैं। इस चुनाव पर चीन की पैनी नजर है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 08:54 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 09:27 AM (IST)
ताइवान में आम चुनाव: मतदान शुरू, परिणाम पर ड्रैगन की पैनी नजर, राष्‍ट्रपति पद के लिए वेन प्रबल दोवेदार
ताइवान में आम चुनाव: मतदान शुरू, परिणाम पर ड्रैगन की पैनी नजर, राष्‍ट्रपति पद के लिए वेन प्रबल दोवेदार

ताईपेई, एजेंसी। ताइवान में अगले राष्‍ट्रपति और संसद सदस्‍यों के चुनाव के लिए मतदान हो रहा है। मतदान केंद्र सुबह 8 बजे खुल गए। मतदान शाम 4 बजे तक चलेगा। मतदान के करीब चार घंटे बाद परिणाम घोषित किए जाने की संभावना है। राष्‍ट्रपति चुनाव में त्‍साई इंग वेन अपने दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव मैदान में हैं। इस चुनाव पर चीन की पैनी नजर है। ताइवान के केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार देश में 19.3 मिलियन (एक करोड़, 90 लाख, 30 हजार) योग्य मतदाता हैं। ताइवान में 20 वर्ष की आयु वाले सभी नागरिक मतदान में हिस्‍सा ले सकते हैं। 

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राष्‍ट्रपति वेन का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी लाई और हान

राष्ट्रपति साई इंग-वेन को दूसरी बार राष्‍ट्रपति बनने की उम्मीद है। चुनाव प्रचार अभियान के दौरान वेन ने खुद को लोकतंत्र के समर्थक के तौर पर पेश किया है। वेन के प्रतिद्वंदी और पूर्व राष्ट्रपति विलियम लाई हैं। लाई एक समय खुद को ताइवान का स्वतंत्र कार्यकर्ता घोषित किया था। इस बार वह राष्‍ट्रपति पद के लिए चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, इस चुनाव में चीन-समर्थक कुओमिन्तांग (केएमटी) काओसियुंग मेयर हान काओ-यू वेन के मुख्य प्रतिस्पर्धी हैं। हान ने चीन के साथ मधुर रिश्ते का संकल्प लिया है।

चीन के ‘एक देश, दो व्यवस्था’ वाले प्रस्ताव ठुकराया

इसके पूर्व ताइवान ने चीन के ‘एक देश, दो व्यवस्था’ वाले प्रस्ताव ठुकरा दिया था। राष्ट्रपति साई इंग वेन ने तीन जनवरी को कहा था कि उन्हें चीन का प्रस्ताव मंजूर नहीं है। ताइवान का कहना है कि यह फॉर्मूला हांगकांग में पूरी तरह से नाकाम हो गया है ऐसे में इसे स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। इससे चीन ताइवान से खफा है।

चीन के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित ताइवान

बता दें कि ताइवान चीन के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। 19वीं शताब्दी के आखिर से द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक एक जापानी उपनिवेश था। चीन का दावा रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है। चीन बार-बार कहता रहा है कि ताइवान का एकीकरण होकर रहेगा। इसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। 


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