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ईद पर तालिबान के युद्धविराम से भी नहीं थमी अफगानिस्तान में हिंसा, बस में बम विस्फोट में 13 की मौत, 37 घायल

तालिबान की अफगानिस्तान में ईद पर तीन दिन के युद्धविराम की घोषणा के बाद भी हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। जाबुल में एक बस में बम विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई। घटना में 37 से ज्यादा घायल हो गए।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 05:50 PM (IST)
ईद पर तालिबान के युद्धविराम से भी नहीं थमी अफगानिस्तान में हिंसा, बस में बम विस्फोट में 13 की मौत, 37 घायल
ईद पर तालिबान के युद्धविराम से भी नहीं थमी अफगानिस्तान में हिंसा। फाइल फोटो।

काबुल, एजेंसियां। तालिबान की अफगानिस्तान में ईद पर तीन दिन के युद्धविराम की घोषणा के बाद भी हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। जाबुल में एक बस में बम विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई। घटना में 37 से ज्यादा घायल हो गए। अफगान सरकार ने कहा, तालिबान निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रहा है। तालिबान ने कोई टिप्पणी नहीं की है। गृह मंत्रालय के अनुसार बस में बम विस्फोट जाबुल प्रांत के मुस्कान क्षेत्र में हुआ। इसके साथ ही पारवान प्रांत में एक अलग बम विस्फोट में दो नागरिकों की मौैत हो गई और नौ से ज्यादा घायल हो गए। घायलों में बच्चे और महिलाएं भी हैं। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि तालिबान लड़ाकों से ईद पर तीन दिन तक युद्ध विराम रखने का आदेश दिया गया है। कोई भी लड़ाका इस दौरान कहीं भी हिंसा नहीं करेगा, जब तक कि उन पर हमला न किया जाए।

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आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री अफगानिस्तानी राष्ट्रपति से मिलीं

आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिसे पायने ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात की। उनकी सेना वापसी व अन्य मसलों में वार्ता हुई। उन्होंने यहां महिलाओं के मामलों की मंत्री हसीना सैफी से भी सेना के युद्ध संबंधी अपराधों को लेकर वार्ता की। इधर यूरोपीय यूनियन के विदेश मंत्रियों ने सोमवार को एक बैठक की। जिसमें विचार किया गया कि सेना वापसी के बाद अफगानिस्तान में जनता की कैसे सुरक्षा हो।

सेना वापसी के बाद भी हिंसा से नहीं उबर पाएंगे

अफगानी अफगानिस्तान में विदेशी सेनाओं के होते हुए भी आतंकवादी बराबर मौैजूद हैं। सेना वापसी के बाद भी यहां हिंसा में कमी की कोई संभावना नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक नजारी पेरियानी का कहना है कि अमेरिका ने 9/11 आतंकी हमले के बाद ही तालिबान और अलकायदा के सफाए की योजना बनाई। न तो तालिबान ही खत्म हो पाया और न ही अलकायदा। अब अमेरिकी सेना की इस स्थिति में वापसी उसकी बीस साल की मौजूदगी के बाद भी कोई फायदा नहीं दे पाई।


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