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ताइवान का दौरे करेंगी संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत, बौखलाया चीन बोला- आग से खेल रहा अमेरिका

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ताइवान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के लिए 13-15 जनवरी को ताइवान का दौरा करेंगी। चीन इस यात्रा से बिफर गया है और उसने इसे आग से खेलना बताया है।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 09:59 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 09:59 AM (IST)
ताइवान का दौरे करेंगी संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत, बौखलाया चीन बोला- आग से खेल रहा अमेरिका
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट

ताइपे, रायटर। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट, ताइवान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के लिए 13-15 जनवरी को ताइवान का दौरा करेंगी। अमेरिकी मिशन ने गुरुवार को इसकी जाकारी दी। चीन इस यात्रा से बिफर गया है और उसने इसे आग से खेलना बताया है। गौरतलब है कि ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है और उसे एक अलग देश की मान्यता नहीं देता। ताइवान को अमेरिका से मिल रहे समर्थन से काफी नाराज है। इससे अमेरिका और चीन के बीच संबंंध और तनावपूर्ण हो गए हैं।

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अमेरिकी मिशन ने कहा कि अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट इस दौरे के दौरान वह वैश्विक समुदाय के लिए ताइवान के प्रभावशाली योगदान और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान के सार्थक और विस्तारित भागीदारी के महत्व पर भाषण देंगी। चीन ने कहा कि वह अमेरिकी राजदूत की यात्रा का दृढ़ता से विरोध करता है। चीन के यूएन मिशन ने कहा कि हम अमेरिका को याद दिलाना चाहते हैं कि जो भी आग से खेलेगा वह खुद जल जाएगा। अमेरिका इस गलत कदम के लिए भारी कीमत चुकाएगा। 

चीन ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह अपने उकसावे वाले कदम उठाना, दोनों देशों  के संबंध और संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों के सहयोग के नई कठिनाइयां पैदा करना बंद करे। इससे पहले अगस्त में अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा (एचएचएस) मंत्री एलेक्स अजार और सितंबर अमेरिका के आर्थिक वृद्धि, ऊर्जा और पर्यावरण उपमंत्री कीथ क्रैक के ताइवान दौरे के दौरान चीन ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए ताइवानी क्षेत्र में लड़ाकू जेट भेज दिए थे। 

बता दें कि चीन की आपत्ति के कारण ताइवान यूएन का सदस्य नहीं है। इस लिहाज से अमेरिकी राजदूत केली का दौरा उसके लिए काफी महत्वपूर्ण है। चीन इस द्वीप को अपने प्रांतों में से एक मानता है और और वह कहता है अंतरराष्ट्रीय मंच पर ताइवान के लिए बोलने का अधिकार उसके पास है। ताइवान का कहना है कि यह अधिकार लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई उसकी सरकार का है, चीन का नहीं। उसने शिकायत की है कि चीनी दबाव के कारण कोरोना महामारी के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से वास्तविक जानकारी नहीं मिल रही है।


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