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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से खुलासा, अफगानिस्तान हिंसा में इस साल आई 13 फीसद की कमी

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान में इस साल के पहले छह महीनों में मारे या घायल होने वाले नागरिकों की संख्या में 13 फीसद की कमी आई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 07:43 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 07:43 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से खुलासा, अफगानिस्तान हिंसा में इस साल आई 13 फीसद की कमी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से खुलासा, अफगानिस्तान हिंसा में इस साल आई 13 फीसद की कमी

काबुल, एपी। हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान में इस साल के पहले छह महीनों में मारे या घायल होने वाले नागरिकों की संख्या में 13 फीसद की कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक रिपोर्ट में पिछले साल की इसी अवधि से तुलना करते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा में कमी की दो वजहें हैं। पहली वजह है, अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेना के ऑपरेशन में कमी।

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नाटो गठबंधन अब केवल अफगान सेना के अनुरोध पर उसकी मदद के लिए ही कोई कार्रवाई करता है। आतंकी संगठन आइएस के हमलों की संख्या में कमी इसका दूसरा कारण है। इस साल के पहले छह महीनों में हुई हिंसा में 1, 282 लोग मारे गए, जबकि 2,176 लोग घायल हुए हैं। यह 2019 की इसी अवधि की तुलना में 13 फीसद कम है। इस साल आइएस ने 17 हमले किए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 97 हमले किए गए थे।

हालांकि, रिपोर्ट में यह बात भी रेखांकित की गई है कि अभी भी बड़ी संख्या में आम लोग खूनी संघर्ष के शिकार हो रहे हैं। तालिबान और अफगान सरकार को कड़ा संदेश देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष नहीं थमने पर आम लोगों की मौत का आंकड़ा लगातार ऊपर रह सकता है। इसी साल फरवरी में अमेरिका-तालिबान के बीच शांति समझौते ने दशकों से गृहयुद्ध में फंसे अफगानिस्तान में स्थायी शांति की उम्मीद जगाई थी। यूएन की यह रिपोर्ट इसी संदर्भ में है।

समझौते के तहत अमेरिका पहले ही अपने सैनिकों की संख्या घटा चुका है। दूसरे चरण में तालिबान और अफगान सरकार के बीच शांति वार्ता होनी है, जो किसी न किसी वजह से टल रही है। मुख्य वजह तालिबान कैदियों की रिहाई को लेकर अफगान सरकार की ना-नुकर है। समझौते के तहत इन्हें रिहा किया जाना था। अफगान सरकार और तालिबान के पास इस समय शांति वार्ता के लिए ऐतिहासिक मौका है लेकिन दुखद यह है कि लड़ाई लगातार जारी है और आम लोग इसके शिकार बन रहे हैं।


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