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हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन : विदेश मंत्री ने रखी भारत की राय, अफगानिस्तान में संरा की अगुआई में हो शांति पहल

जयशंकर ने कहा कि आगे जो भी प्रक्रिया लागू की जाए उसमें पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया स्वतंत्र विदेश नीति बनाने महिलाओं को अधिकार दिलाने अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने जैसी उपलब्धियों को बनाए रखने की व्यवस्था होनी चाहिए।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 09:04 PM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 09:04 PM (IST)
हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन : विदेश मंत्री ने रखी भारत की राय, अफगानिस्तान में संरा की अगुआई में हो शांति पहल
अफगानिस्तान के भीतर और आस-पास भी होनी चाहिए शांति : एस. जयशंकर

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अफगानिस्तान के भीतर तालिबान के बढ़ते हमले व उसके बढ़ते प्रभाव के बीच भारत ने अपनी अफगान नीति में अहम बदलाव का संकेत दिया है। अब तक शांति बहाली के लिए अफगानिस्तान के लोगों की तरफ से पहल होने की मांग कर रहे भारत ने अब कहा है कि अगर संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में इस युद्धग्रस्त देश में शांति पहल की कोशिश होती है तो वह उसका समर्थन करेगा। भारत ने यह तो साफ नहीं किया कि वह संरा की अगुआई में होने वाली शांति प्रक्रिया में सीधे तौर पर हिस्सा लेगा या नहीं, लेकिन अफगानिस्तान में स्थायी शांति में विश्व संगठन की अग्रणी भूमिका की वकालत कर इस विकल्प को भी खुला रखा है।

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अफगानिस्तान में शांति के लिए सच्ची कोशिश का समर्थन करता है भारत

अफगानिस्तान को लेकर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए किसी भी सच्चे व विस्तृत कोशिश का भारत समर्थन करता है। हम संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में वहां शांति बहाली के लिए क्षेत्रीय प्रक्रिया का भी समर्थन करते हैं। संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व वहां इसकी तरफ से पारित सभी प्रस्तावों को सही मायने में लागू कराने और स्थायी शांति की राह की दिक्कतों को दूर करने में मददगार साबित होगा।

महिलाओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा जरूरी

इसके साथ ही जयशंकर ने कहा कि आगे जो भी प्रक्रिया लागू की जाए, उसमें पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया, स्वतंत्र विदेश नीति बनाने, महिलाओं को अधिकार दिलाने, अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने जैसी उपलब्धियों को बनाए रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। विदेश मंत्री की यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पाकिस्तान परस्त तालिबान के सत्ता में आने की सूरत में इन उपलब्धियों के जारी रहने पर सवाल उठ खड़ा हुआ है।

पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी हुए शामिल

अभी तक अफगानिस्तान के हालात के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को निशाने पर लेने वाले विदेश मंत्री का लहजा इस संदर्भ में थोड़ा बदला हुआ था। उन्होंने तालिबान को पाकिस्तान से मिल रही मदद के बारे में बस इतना कहा कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए वहां अंदर भी शांति होनी चाहिए और आस-पास के क्षेत्र में भी शांति होनी चाहिए। उन्होंने इसे डबल पीस करार दिया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए सामूहिक सफलता आसान नहीं है। लेकिन इसका एकमात्र विकल्प सामूहिक असफलता ही हैं। सनद रहे कि इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी भाग ले रहे हैं।

अफगान राष्ट्रपति ने किया भारत का शुक्रिया

बैठक को संबोधित करते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने वहां शांति स्थापित करने या विकास कार्यों में मदद के लिए भारत की तरफ से दी गई सहायता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में भारत का बड़ा हित है और यही वजह है कि वह लगातार इसको लेकर सकारात्मक है। इसके लिए उन्होंने भारत सरकार को शुक्रिया भी कहा।


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