Move to Jagran APP

संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन काप-26 में धरती बचाने को आगे आई दुनिया, भारत की धमक बढ़ी, हुए ये बड़े फैसले

संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में धरती को बचाने के लिए करीब 200 देश साथ मिलकर कदम बढ़ाने पर राजी हो गए हैं। सम्मेलन में भारत की धमक बढ़ी है और वह अपने प्रस्ताव पर मुहर लगवाने में सफल रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 14 Nov 2021 08:32 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 07:10 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन काप-26 में धरती बचाने को आगे आई दुनिया, भारत की धमक बढ़ी, हुए ये बड़े फैसले
जलवायु सम्मेलन में धरती को बचाने के लिए करीब 200 देश साथ मिलकर कदम बढ़ाने पर राजी हो गए हैं।

लंदन, पीटीआइ। ग्लासगो में निर्धारित समय से एक दिन आगे तक चले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में धरती को बचाने के लिए करीब 200 देश साथ मिलकर कदम बढ़ाने पर राजी हो गए हैं। काप-26 शिखर सम्मेलन में 'ग्लोबल वार्मिंग' के लिए जिम्मेदार उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य को हासिल करने के इरादे से शनिवार को एक समझौते पर सहमति जताई। इस सम्मेलन में भारत की धमक बढ़ी है और वह कोयला, पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से कम करने अपने प्रस्ताव पर मुहर लगवाने में सफल रहा है।

loksabha election banner

हाईलाइट्स

  • काप-26 में कोयले के इस्तेमाल को बंद करने के बजाय कम करने प्रस्ताव पर भारत ने लगवाई मुहर
  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, चर्चा के बाद नए समझौते में कोयले से ऊर्जा की नीति में फेरबदल
  • पर्यावरण सम्मेलन में ऐन मौके पर प्रस्ताव की शब्दावली में बदलाव पर कुछ देशों ने जताई नाराजगी
  • काप-26 के अध्यक्ष ब्रिटेन के मंत्री ने कहा, धरती और निवासियों के लिए एक उपलब्धि के साथ विदा ले रहे
  • समझौते में शामिल देश अगले साल कार्बन कटौती पर चर्चा करने के लिए भी सहमत

कार्बन कटौती पर जारी रहेगी बातचीत

इसके साथ ही ग्लासगो जलवायु समझौता हानिकारक जलवायु प्रभाव वाली ग्रीनहाउस गैसों के लिए जिम्मेदार कोयले के उपयोग को कम करने की योजना बनाने वाला पहला संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौता बन गया है। समझौते में शामिल देश अगले साल कार्बन कटौती पर चर्चा करने के लिए भी सहमत हुए हैं ताकि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके।

धरती को बचाने की मुहिम के साथ विदाई

काप-26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने समझौते की घोषणा करते हुए कहा, 'अब हम इस धरती और इसके वासियों के लिए एक उपलब्धि के साथ इस सम्मेलन से विदा ले सकते हैं।' हालांकि, कई देशों ने जीवाश्म ईंधन पर भारत के रुख की आलोचना की।

विकासशील देशों पर दारोमदार

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, 'विकासशील देशों को वैश्विक कार्बन बजट में अपने उचित हिस्से का अधिकार है और वे इस दायरे में जीवाश्म ईंधन के जिम्मेदार उपयोग के हकदार हैं। ऐसी स्थिति में, कोई कैसे उम्मीद कर सकता है कि विकासशील देश कोयला और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के बारे में वादा कर सकते हैं, जबकि विकासशील देशों को अब भी अपने विकास एजेंडा और गरीबी उन्मूलन से निपटना है।'

पर्यावरण मंत्री बोले- हमारी पहल रही मददगार

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, 'उदाहरण के लिए, हम (भारत) कम आय वाले परिवारों को एलपीजी के उपयोग के लिए सब्सिडी दे रहे हैं। यह सब्सिडी खाना पकाने के लिए बायोमास जलने को लगभग समाप्त करने और घरों के अंदर वायु प्रदूषण में कमी से स्वास्थ्य में सुधार करने में बहुत मददगार रही है।'

किसी विशेष क्षेत्र को लक्षित करना ठीक नहीं : भारत

यादव ने कहा कि जीवाश्म ईंधन और उनके उपयोग ने दुनिया के कुछ हिस्सों को संपन्नता और बेहतरी प्राप्त करने में सक्षम बनाया है और किसी विशेष क्षेत्र को लक्षित करना ठीक नहीं है। यादव ने जोर देकर कहा कि हर देश अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों, ताकत और कमजोरियों के अनुसार 'नेट-जीरो' के लक्ष्य पर पहुंचेगा।

समझौते में किए गए वादों को निभाना अहम : शर्मा

भारत में जन्मे ब्रिटिश कैबिनेट मंत्री और शिखर सम्मेलन के प्रभारी शर्मा ने मसौदे पर कुछ देशों की आलोचना के बीच कहा, 'मुझे गहरा खेद है।' उन्होंने कहा, 'मैं गहरी निराशा को भी समझता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि यह भी महत्वपूर्ण है कि हम इस समझौते में किए गए वादों को निभाएं।'

छोटे द्वीपीय देशों ने भारत के सुझाव पर जताई निराशा

छोटे द्वीपीय देशों समेत कई देशों ने कहा है कि वे कोयले के इस्तेमाल को 'चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय इसे चरणबद्ध तरीके से कम करने' के भारत के सुझाव से बेहद निराश हैं क्योंकि कोयला आधारित संयंत्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्त्रोत हैं।

सम्मेलन में लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाए : गुटेरस

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने एक बयान में कहा, 'पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील धरती के लिए कदम उठाना बेहद जरूरी है। हम जलवायु आपदा के कगार पर खड़े हैं।' उन्होंने कहा, 'हमने इस सम्मेलन में लक्ष्यों को हासिल नहीं किया, क्योंकि प्रगति के मार्ग में कुछ बाधाएं हैं।' हालांकि, कई देशों ने कहा कि कुछ नहीं करने से बेहतर है कि कुछ किया जाए और इस दिशा में आगे बढ़ते रहना बेहतर होगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.