संयुक्त राष्ट्र ने नस्ली भेदभाव की शुरू की जांच, मानवाधिकार परिषद ने पुलिस के हिंसक रवैये की निंदा की
जॉर्ज फ्लॉयड के भाई फिलॉनिस फ्लॉयड ने बुधवार को पुलिस क्रूरता और नस्ली भेदभाव की जांच करने का मानवाधिकार परिषद से आग्रह किया था।
जेनेवा, एजेंसियां। संयुक्त मानवाधिकार परिषद ने जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद पुलिस के भेदभावपूर्ण और हिंसक रवैये की निंदा की है। साथ ही अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ होने वाले नस्ली भेदभाव पर एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इस संबंध में अफ्रीकी देशों की तरफ से लाए गए प्रस्ताव का सभी 47 सदस्यों ने सर्वसम्मति से समर्थन किया। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट को शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर एक वर्ष में रिपोर्ट देने को कहा गया है। उधर, ट्रंप प्रशासन से इस संबंध में किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं मिली है।
दरअसल, जॉर्ज फ्लॉयड के भाई फिलॉनिस फ्लॉयड ने बुधवार को पुलिस क्रूरता और नस्ली भेदभाव की जांच करने का मानवाधिकार परिषद से आग्रह किया था। गत शुक्रवार को इस संबंध में अफ्रीकी देशों की तरफ से बुर्कीना फासो एक प्रस्ताव लाया था और सर्वसम्मति से स्वीकार करने का आग्रह किया था। मानवाधिकार परिषद के पूर्व अध्यक्ष और सेनेगल के राजदूत ने प्रस्ताव पर बनी सर्वसम्मति का स्वागत किया है।
प्रस्ताव पर कई देशों ने जताया ऐतराज
बताया जाता है कि जो प्रस्ताव पास हुआ है, उसमें शामिल की गई भाषा को थोड़ा लचीला रखा गया है। शुरुआती प्रस्ताव में अमेरिका सहित किसी भी देश में नस्ली भेदभाव की जांच की बात कही गई थी, लेकिन सर्वसम्मति से पास प्रस्ताव में सिर्फ अमेरिका को ही शामिल किया गया है। प्रस्ताव पर बहस के दौरान ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इटली, पोलैंड और यूरोपीय संघ सहित कई पश्चिमी देशों ने इस पर एतराज भी जताया। ऑस्ट्रेलियाई राजदूत सैली मैंसफील्ड ने कहा कि यह समस्या किसी एक देश की नहीं है बल्कि यह दुनियाभर की समस्या है। जर्मनी के राजदूत माइकल स्टर्नबर्ग ने कहा कि किसी एक बिंदु पर अधिक ध्यान देने से ज्यादा अच्छा होगा कि हम व्यापक दृष्टिकोण अपनाएं। दो साल पहले परिषद पर अपने विश्वस्त सहयोगी इजरायल के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते हुए अमेरिका इससे अलग हो गया था।
यूरोपीय संसद ने सभी प्रकार के श्वेत वर्चस्व की निंदा की
यूरोपीय संसद ने एक प्रस्ताव अंगीकार किया है, जिसमें अमेरिका सहित दुनिया के किसी भी हिस्से में जॉर्ज फ्लॉयड जैसी भयावह मौत की निंदा की गई है। प्रस्ताव में पक्ष में जहां 493 वोट पड़े हैं वहीं विरोध में 104 वोट पड़े हैं। जबकि 67 लोगों ने मतदान में भाग नहीं लिया। शुक्रवार को अंगीकार किए गए प्रस्ताव में अमेरिका से नस्ली भेदभाव और असमानता को खत्म करने की जहां अपील की गई है वहीं विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सेना के उपयोग की धमकी की निंदा की गई है। सांसदों ने फ्लॉयड की मौत के बाद हुए प्रदर्शनों का ना केवल समर्थन किया है बल्कि सभी प्रकार के श्वेत वर्चस्व की आलोचना की है। यूरोपीय संसद ने प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचाए गए नुकसान की भी निंदा की है।
जूनटीन्थ के मौके पर अमेरिका के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन
नस्ली भेदभाव खत्म करने के लिए जूनटीन्थ के मौके पर एक बार फिर न्यूयॉर्क के लोग सड़कों पर उतरे। मेयर के आफिस के नजदीक सिटी हॉल से प्रदर्शन शुरू हुआ। प्रदर्शन में शामिल लगभग पांच हजार लोग 'नो जस्टिस-नो पीस' जैसे नारे लगा रहे थे। प्रदर्शन के चलते थोड़े समय के लिए जहां ट्रैफिक डाइवर्ट करना पड़ा वहीं सिटी बसों को दूसरे रास्तों की तरफ मोड़ना पड़ा। अमेरिका में 19 जून 1865 को दास्ता प्रथा खत्म हुई थी। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक साल 19 जून को जूनटीन्थ मनाया जाता है। अबकी बार तो न्यूयॉर्क के गवर्नर ने एक सप्ताह पहले सरकारी कर्मचारियों की छुट्टी भी घोषित कर दी थी। शिकागो में लोगों ने प्रदर्शन किया।
वाशिंगटन डीसी में प्रतिमा गिराई
वाशिंगटन डीसी में लगी कंफडरेट जनरल अल्बर्ट पाइक की प्रतिमा को प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को गिरा दिया। सोशल मीडिया पर आए इससे संबंधित वीडियो में पुलिस प्रतिमा को गिरता देख रही है, लेकिन उसने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। उधर, प्रतिमा गिराए जाने के बाद तुरंत बाद ट्रंप ने मेयर म्यूरियल ब्राउजर को बुलाया। उन्होंने पुलिस पर अपना काम ठीक से नहीं करने का आरोप लगाया।
प्रमुख बातें
-हॉलीवुड अभिनेत्री गुगू बाथा रॉ जॉर्ज फ्लॉयड और ब्रेओना टेलर के बनाए गए चित्रों की नीलामी करेंगी। चित्रों की नीलामी से आए फंड का प्रयोग सामाजिक न्याय के लिए ठीक किया जाएगा। नीलामी 20 जून से 29 जून तक चलेगी।
-नस्ली भेदभाव को खत्म करने के लिए अमेरिका में 100 कलाकार साथ आए हैं।
-एवेंजर-एंडगेम के अभिनेता डॉन शिएडेल ने कहा है कि वह भी कई बार पुलिस की सख्ती का शिकार हुए हैं।