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यूनिसेफ ने दी बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ने वाले असर को लेकर अहम चेतावनी, डालें नजर

कोरोना काल में लाखों बच्‍चों ने अपने माता-पिता को खोया है। इसका उनके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी गहरा असर पड़ा है। यूनिसेफ ने इसको लेकर पूरी दुनिया को आगाह किया है। साथ ही अपील की है कि सब एकजुट होकर प्रभावित देशों की मदद करें।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 12:28 PM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 01:51 PM (IST)
यूनिसेफ ने दी बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ने वाले असर को लेकर अहम चेतावनी, डालें नजर
बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ता गहरा असर

जिनेवा (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने चेतावनी दी है कि दक्षिण एशियाई देशों में बढ़ते कोरोना संक्रमण का असर यहां पर रहने वाले बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ रहा है। इस तरह के हालात यहां पर पहली बार दिखाई दे रहे हैं। यूनिसेफ ने ये भी कहा है कि इन देशों की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर भी इस दौरान काफी बोझ बढ़ा है। यदि समय रहते इन देशों में मदद न की जाए तो ये चरमरा सकती है। संगठन के मुताबिक कोरोना काल में कई बच्‍चों के सिर से उनके माता-पिता का साया उठ गया है। बड़ी संख्‍या में बच्‍चे अनाथ हुए हैं। अस्‍पतालों के बाहर बच्‍चों के साथ पहुंचे परिजन इलाज की बाट ताक रहे हैं। मीडिया में आने वाली तस्‍वीरें विचलित करने वाली हैं। इसका सीधा उसर उनके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ रहा है।

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गौरतलब है कि दुनिया में बच्‍चों की कुल आबादी का चौथाई हिस्‍सा केवल इन्‍हीं देशों में है। दक्षिण एशियाई देशों की आबादी करीब 2 अरब है। वहीं दुनियाभर में सामने आने वाले कोरोना संक्रमण के आधे मामले केवल यहीं से आ रहे हैं। यूनिसेफ के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारेया अडजेई ने काठमांडू में कहा कि इन देशों की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के मुकाबले सामने आने वाले मामले कहीं ज्‍यादा हैं। इस दौरान उन्‍होंने कोरोना मरीजों को हो रही ऑक्‍सीजन की किल्‍लत का भी मामला उठाया और इस पर चिंता जताई। उन्‍होंने कहा कि मरीजों के परिजन अपनी जान जोखिम में डालकर इन सिलेंडर का इंतजाम कर रहे हैं और इन्‍हें खुद अस्‍पताल पहुंचा रहे हैं। वहीं अस्‍पतालों में डॉक्‍टर्स और दूसरा स्‍टाफ घंटों तक अपनी सेवाएं दे रहा है, जिससे उनमें थकान हावी होती दिखाई दे रही है। उनके ऊपर इस वक्‍त इतना दबाव है कि वो हर मरीज पर पूरी तरह से ध्‍यान नहीं दे पा रहे हैं।

उनके मुताबिक नेपाल में कोविड टेस्टिंग के पॉजीटिव आने की दर 47 फीसद हो गई है। वहीं श्रीलंका में भी कोरोना संक्रमण का दायरा बढ़ रहा है और हर रोज आने वाले नए मरीजों की संख्‍या में इजाफा हो रहा है। साथ ही इससे मरने वालो की भी संख्‍या बढ़ रही है। इसी तरह से मालदीव की भी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं भारी दबाव में हैं। यहां पर मरीजों को देखते हए सरकार ने अस्‍पतालों में बेड की संख्‍या बढ़ाई है। यूनीसेफ ने चेतावनी दी है कि पाकिस्‍तान, बांग्लादेश, अफगानिस्‍तान और भूटान में यही हालात पैदा हो सकते हैं।

यूनिसेफ का कहना है कि कोरोना महामारी की पहली लहर में दक्षिण एशियाई 2 लाख से अधिक बच्चों और 11 हजार से अधिक माताओं को जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं में परेशानी का सामना करना पड़ा है। वहीं दूसरी लहर पहले के अपेक्षा चार गुना अधिक गंभीर है। यूनिसेफ बाल और मातृत्व स्वास्थ्य के प्रति गहरी चिंता जाहिर की है। यूनिसेफ की तरफ से जॉर्ज लारेया ने कहा कि संगठन कोरोना से प्रभावित देशों में जीवन रक्षक उपकरणों समेत अन्‍य चीजों को भेजने की कोशिश कर रहा है। संगठन की प्राथमिकता लोगों का जीवन बचाना है। उन्‍होंने जीवन रक्षक उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 16 करोड़ डॉलर की अपील की है। उनका कहना है कि इस राशि से लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकेंगी और साथ ही प्रभावित देशों की स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली को मजबूत किया जा सकेगा, जिससे कोरोना की आने वाली लहर का सामना किया जा सके। डब्‍ल्‍यूएचओ की तरह ही यूनिसेफ ने भी इस बात पर चिंता जताई है कि कुछ देश जहां पर अपनी पूरी आबादी को वैक्‍सीन देने की कोशिश में लगे हैं वहीं कई देश ऐसे हैं जहां तक वैक्‍सीन की एक भी खुराक नहीं पहुंची है। उन्‍होंने सभी देशों अपील की है कि वो वैक्‍सीन की अतिरिक्‍त खुराक को दान दें जिससे अन्‍य लोगों का जीवन बचाया जा सके।


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