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दुनिया में आइएस का खौफ बरकरार, कई देशों में आतंक का पर्याय बना संगठन

व्लादिमीर वोरोन्कोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि इस्‍लामिक स्‍टेट लड़ाकों की छोटे-छोटे सेल स्‍वतंत्र रूप से इन दोनों देशों में सक्रिय है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 02:48 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 02:48 PM (IST)
दुनिया में आइएस का खौफ बरकरार, कई देशों में आतंक का पर्याय बना संगठन
दुनिया में आइएस का खौफ बरकरार, कई देशों में आतंक का पर्याय बना संगठन

संयुक्‍त राष्‍ट्र, एजेंसी। संयुक्‍त राष्‍ट्र का अनुमान है कि सीरिया और इराक में 10,000 से अधिक इस्‍लामिक स्‍टेट के लड़ाके सक्रिय है। यूएन का कहना है कि इस साल आइएस के हमलों में काफी वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी प्रमुख व्लादिमीर वोरोन्कोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि युद्ध के मैदान में इस्लामिक स्टेट की हार के बावजूद इन आतंकवादी संगठन के छोटे-छोटे सेल स्‍वतंत्र रूप से इन दोनों देशों में सक्रिय है। उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्टेट चरमपंथी समूह, जिसे आइएस, आइएसआईएल और आइएसआईएस के नाम से भी जाना जाता है। उन्‍होंने कहा कि इनका दायरा बढ़ रहा है। व्लादिमीर ने कहा कि आइएस अब सीरिया और इराक के अलावा कुछ अन्‍य देशों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। 

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आइएस का बढ़ता खतरनाक दायरा 

उन्‍होंने कहा कि कई अफ्रीकी देशों में आइएस का प्रभाव है। खासकर लीबिया, कांगो, माली नाइजर और मोजाम्बिक में इनका बड़ा नेटवर्क है। पश्चिम अफ्रीका में आइएसआइएल वैश्विक प्रचार का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। उन्होंने कहा कि पश्चिम अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट (आइएसआइएल) के करीब 3,500 सदस्य हैं। इसी तरह से यूरोप में फ्रांस और ब्रिटेन में इसका प्रसार हो रहा है। अफगानिस्तान में आइएसआइएल के सहयोगी ने काबुल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े हमलों को अंजाम दिए हैं। इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को फैलाने के लिए अफगान क्षेत्र का उपयोग करना चाहते हैं। आइएसआइएल उन विद्रोहियों को आकर्षित करना चाहते हैं जो हाल ही में हुए शांति समझौते का विरोध करते हैं। 

शरणार्थियों की स्थिति बद्तर हुई

वोरोन्कोव ने कहा कि कोरोना महामारी के प्रसार के बाद आइएस के प्रभाव वाले देशों में शरणार्थियों की स्थिति और जट‍िल हुई है। खासकर इराक और सीरिया में फंसे शरणार्थियों की स्थिति बद्तर हुई है। उन्‍होंने कहा कि कुछ देशों ने अपने नागरिकों को विशेषकर बच्‍चों एवं महिलाओं का वापस नहीं लिया है। वोरोंकोव ने सभी देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के आह्वान को दोहराया कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू करें और अपने सभी फंसे हुए महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को घर लाएं। उन्‍होंने कहा कि अगर अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय इस चुनौती को पूरा करने में विफल रहता है, तो आइएसआइएल से वैश्विक खतरा बढ़ने की संभावना है। 

कोरोना महामारी के प्रसार का असर  

उन्‍होंने कहा कि कोरोना महामारी के प्रसार को कम करने के लिए उपाय में लाए गए लॉकडाउन और आवाजाही के प्रतिबंधों का असर इन आतंकी संगठनों पर भी पड़ा है। कई देशों में आतंकवादी हमलों का जोखिम कम हुआ है। आइएस और अन्‍य आतंकवादी समूहों की ओर इशारा करते हुए उन्‍होंने कहा कि लेकिन इसका समाज में नकारात्‍मक असर पड़ रहा है। आइएस की भर्ती और धन उगाहने वाली गतिविधियों पर महामारी का प्रभाव स्पष्ट नहीं है। इसके नेता अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी की रणनीतिक दिशा में बदलाव का कोई स्पष्ट संकेत नहीं है। 


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