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दूसरे विश्वयुद्ध के 99 वर्षीय इस योद्धा ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बनाया रिकॉर्ड, जुटाए 269 करोड़

कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए धन संग्रह कर रहे ब्रिटेन के 99 वर्षीय कैप्टन टॉम मूरे ने शुक्रवार को गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज कराकर युवाओं को पीछे छोड़ दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 01:33 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 01:33 AM (IST)
दूसरे विश्वयुद्ध के 99 वर्षीय इस योद्धा ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बनाया रिकॉर्ड, जुटाए 269 करोड़
दूसरे विश्वयुद्ध के 99 वर्षीय इस योद्धा ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बनाया रिकॉर्ड, जुटाए 269 करोड़

लंदन, रायटर। कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए धन संग्रह कर रहे ब्रिटेन के 99 वर्षीय कैप्टन टॉम मूरे ने शुक्रवार को गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज कराकर वाहवाही लूटी। 30 अप्रैल को वह 100वां जन्मदिन मनाने वाले हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के योद्धा कैप्टन टॉम ने चैरिटी वाक के जरिये व्यक्तिगत तौर पर सबसे ज्यादा धन इकट्ठा करने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड कायम किया। उन्होंने नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के लिए शुक्रवार दोपहर तक 3.52 करोड़ डॉलर (करीब 269 करोड़ रुपये) जुटाए। कैप्टन टॉम कमर टूट जाने के बाद बिना सहारे के खड़े और चल नहीं पाते। इसके लिए वह पहियों वाले वाकर की मदद लेते हैं। 

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कैप्टन टॉम ने उम्मीद जताई थी कि वह करीब 800 डॉलर जुटा लेंगे, लेकिन मध्य इंग्लैंड के बेडफोर्डशायर स्थित घर में पूर्व में ली गई उनकी एक तस्वीर ने दुनियाभर का ध्यान खींचा और धन संग्रह का रिकॉर्ड कायम हो गया। कैप्टन टॉम स्वास्थ्य सेवा के लिए धन संग्रह करने वाले माइकल बाल के म्यूजिक एलबम 'यू विल नेवर वाक अलोन' में शिरकत करने वाले सबसे उम्रदराज गायक भी हैं। गिनीज व‌र्ल्ड रिकॉर्ड ने बताया कि पहले यह रिकॉर्ड वेल्स स्टार टॉम जॉन के नाम था, जिन्होंने वर्ष 2009 में 68 वर्ष की उम्र में अकेले ही 'बैरी आइलैंड इन द स्ट्रीम' गाया था।

दूसरे विश्व युद्ध के नायक रहे टॉम मूर के कोरोना वायरस को हराने के जज्बे को देख युवा भी पस्त हैं। बीते दिनों कोरोना को हराने की जिद लिए टॉम ने गॉर्डन में 100 कदम चलकर कोरोना के खिलाफ जंग के लिए यह रकम जुटाई है। इस दौरान टॉम के साथ उनके परिवार के लोग भी मौजूद थे। यह रकम नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) फंड में जमा होगी। रिपोर्टों के मुताबिक, टॉम दूसरे विश्व युद्ध में इंग्लैंड की सेना में भर्ती होने से पहले एक सिविल इंजीनियर थे। बाद में उन्‍हें कैप्टन बनाया गया। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्‍होंने भारत और म्यांमार में भी काम किया था।  


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