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दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के खिलाफ सुनवाई शुरू, हथियार सौदे में भ्रष्टाचार के हैं आरोप

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में सोमवार को सुनवाई शुरू हो गई। एक अन्य मामले में अदालत की अवमानना को लेकर जेल की सजा सुनाए जाने के एक हफ्ते बाद यह सुनवाई शुरू हुई है।

By Amit KumarEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 09:41 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 09:41 PM (IST)
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के खिलाफ सुनवाई शुरू, हथियार सौदे में भ्रष्टाचार के हैं आरोप
जैकब जुमा के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में सोमवार को सुनवाई शुरू हो गई।

जोहान्सबर्ग, रॉयटर्स: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में सोमवार को सुनवाई शुरू हो गई। एक अन्य मामले में अदालत की अवमानना को लेकर जेल की सजा सुनाए जाने के एक हफ्ते बाद यह सुनवाई शुरू हुई है। बीत दिनों उनकी गिरफ्तारी के बाद देश में हिंसा भड़क गई थी। जिसमें बड़ी तादाद में लोग मारे गए थे, कोर्ट में आरोपों पर सुनवाई डिजिटल तरीके से हो रही है।

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हथियार सौदे में रिश्वत के आरोप

जुमा पर 1999 में देश के विवादास्पद हथियार सौदे से जुड़े, फ्रांसीसी हथियार निर्माता थेल्स से रिश्वत लेने के आरोप हैं। जुमा पर मुकदमा चलाने के प्रयासों को दक्षिण अफ्रीका के शक्तिशाली राजनेता के जवाब देने की क्षमता के परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है। जुमा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपो को जड़ से खारिज किया है। उनपर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग समेत कई आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को राजनीती से प्रेरित बताया है। अदालत में पेशी के दौरान जुमा कुछ नहीं बोले, हालांकि, उनके वकील ने मुकदमे को स्थगित करने की मांग की है। ताकी जुमा को व्यक्तिगत तौर से कोर्ट में पेश किया जा सके। साथ ही उन्होंने कहा कि, जुमा गिरफ्तारी के बाद से अपनी कानूनी टीम से ठीक से परामर्श भी नहीं कर पाए हैं। जिसके चलते मुकदमे को स्थगित कर देना चाहिए।

कार्यवाही में पक्षपात के आरोप

वहीं, मई में एक सुनवाई के दौरान जुमा की कानूनी टीम ने तर्क दिया था कि, मामले में राज्य अभियोजक ने उनके खिलाफ पक्षपात किया है। जुमा को पिछले महीने अदालत ने 2018 तक सत्ता में अपने 9 साल के शासन के दौरान, उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार की जांच में पेश होने के आदेश की अवहेलना करने के लिए जेल की सजा दी गई थी। सोमवार को अदालत में सुनवाई के दौरान मुकदमे को स्थगित करने की मांग पर, राज्य के वकीलों ने इसका विरोध किया। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि, ये कोर्ट की कार्यवाही में देरी करने के लिए एक और रणनीति है। गौरतलब है कि, जुमा के कारावास के बाद हुए दंगों में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं, साथ ही इस दौरान सैकड़ों व्यवसायों को भारी नुकसान हुआ है।


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