Move to Jagran APP

चिनफ‍िंग-बाइडन में जुबानी जंग तेज, पूर्वी लद्दाख के बहाने सीमा विवाद पर अमेरिका ने चीन को क्‍यों घेरा? जानें-एक्‍सपर्ट व्‍यू

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने दावोस वर्ल्ड इकोनामिक फोरम की बैठक में चेतावनी दी है कि वैश्विक टकराव के भीषण नतीजे हो सकते हैं। चीनी राष्‍ट्रपति का ताजा बयान क्‍या बाइडन प्रशासन द्वारा दी गई धमकी की प्रतिक्रिया है। आखिर इसके क्‍या निहितार्थ हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 05:13 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:27 PM (IST)
चिनफ‍िंग-बाइडन में जुबानी जंग तेज, पूर्वी लद्दाख के बहाने सीमा विवाद पर अमेरिका ने चीन को क्‍यों घेरा? जानें-एक्‍सपर्ट व्‍यू
चिनफ‍िंग-बाइडन में जुबानी जंग तेज, पूर्वी लद्दाख के बहाने सीमा विवाद पर अमेरिका ने चीन को क्‍यों घेरा। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। चीन और अमेरिका में जुबानी जंग तेज हो गई है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने दावोस वर्ल्ड इकोनामिक फोरम की बैठक में चेतावनी दी है कि वैश्विक टकराव के भीषण नतीजे हो सकते हैं। चिनफ‍िंग ने यह चेतावनी तब जारी की है, जब हाल में भारत-चीन सीमा वार्ता के वक्‍त बाइडन प्रशासन ने बीजिंग को आगाह किया था कि पड़ोसी देशों को धमकी देने की उसकी कोशिशें फिक्र बढ़ाने वाली हैं। अमेरिका ने यह भी कहा है कि वो अपने साझेदार देशों के साथ खड़ा रहेगा। चीनी राष्‍ट्रपति का ताजा बयान क्‍या बाइडन प्रशासन द्वारा दी गई धमकी की प्रतिक्रिया है। आखिर इसके क्‍या निहितार्थ हैं।

prime article banner

1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि पूर्वी लद्दाख, ताइवान, दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में वह अपनी आक्रामक नीति के कारण बौखलाया हुआ है। भारत के अलावा चीन के ताइवान के साथ रिश्तों में भी ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली है। चीन ताइवान को अपना राज्‍य बताता है, जबकि ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्‍ट्र मानता है। इसके अलावा हिंद प्रशांत क्षेत्र एवं दक्षिणी चीन सागर को लेकर भी चीन का अपने कई पड़ोसी देशों के साथ विवाद जारी है। वहीं, पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ विवाद है।

2- प्रो. पंत ने कहा कि कहा कि भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई मुल्‍क हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीन के सैन्य दबदबे के बीच इस इलाके में आजादी और खुलेपन के साथ आवाजाही तय करने की हिमायत करते रहे हैं। प्रो. पंत ने कहा कि इस क्षेत्र में अमेरिका शांति और स्थिरता बनाए रखना चाहता है। अमेरिका की कोशिश अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक समुद्रों की आजादी बरकरार रखने की है।

3- दक्षिणी चीन सागर पर चीन अपना दबदबा कायम करना चाहता है, जबकि दक्षिण चीन सागर के इस इलाके पर ताइवान, फिलीपीन्स, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम भी अपना दावा जताते हैं। इतना ही नहीं चीन ने पड़ोसी देशों की दावेदारी को दरकिनार करते हुए दक्षिणी चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य ठिकाने बना लिए हैं। ईस्ट चाइना सी में चीन और जापान के बीच विवाद है। अमेरिका इस इलाके में अपने क्षेत्रीय सहयोगियों का समर्थन करता रहा है। अमेरिका यहां अपनी नौ सेना और वायु सेना के विमानों को भी भेजता रहा है। अमेरिका अपने कदम को चीन सागर में मुक्त आवाजाही तय करने की कोशिश से जोड़ता रहा है।

4- प्रो. पंत का कहना है कि ताइवान, अमेरिका और चीन के बीच टकराव का बड़ा कारण बन सकता है। यदि ऐसा होता है कि क्वाड की चौकड़ी में अमेरिका का अहम साझेदार और हिंद महासागर में बड़ी ताकत रखने वाले भारत की भूमिका को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं होगा। यही वजह है कि अमेरिका इन दिनों ताइवान के हितों की हिफाजत का हवाला देते हुए बीजिंग पर निशाना साध रहा है। चीन की नाकेबंदी में अमेरिकी योजना का दूसरा अहम मोर्चा ताइवान है। अमेरिका यह पहले ही साफ कर चुका है कि वो ताइवान के खिलाफ चीन की किसी भी कार्रवाई का जवाब देगा। उधर, चीन अपनी वन-चाइना पालिसी की दुहाई देते हुए ताइवान में किसी भी विदेशी दखल का विरोध करता है। चीन के लड़ाकू विमान ताइवान के आसमान में उड़ान भरते नजर आते हैं।

आखिर अमेरिका ने क्या कहा

भारत और चीन के बीच 14वें राउंड की वार्ता के पूर्व अमेरिका में व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा था कि अमेरिका की इस मामले पर नजर है। भारत के साथ लगती सीमा पर चीन के आक्रामक रुख को लेकर साकी ने कहा कि भारत-चीन सीमा के हालात पर अमेरिका की करीबी नजर है। साकी ने कहा कि हम सीमा विवाद के बातचीत और शांति पूर्ण तरीकों से तलाशे जाने वाले समाधान का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि इस इलाके और पूरी दुनिया में बीजिंग के बर्ताव को हम कैसे देखते हैं इसे लेकर हमारा रुख साफ है। हम मानते हैं कि यह हालात को अस्थिर कर सकता है और हम पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना की पड़ोसियों को धमकी देने की कोशिश को लेकर चिंतित हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.