Move to Jagran APP

नेपाल में ओली विरोधी मुहिम ठंडी पड़ने के संकेत, प्रचंड ने कहा; मतभेदों को दूर करने के लिए हो रहा प्रयास

प्रचंड के ताजा संकेतों से पता चलता है कि नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद से हटाने की मुहिम कमजोर पड़ी है और विरोधी गुट के तेवर नरम हुए हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 10:43 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 10:46 PM (IST)
नेपाल में ओली विरोधी मुहिम ठंडी पड़ने के संकेत, प्रचंड ने कहा; मतभेदों को दूर करने के लिए हो रहा प्रयास
नेपाल में ओली विरोधी मुहिम ठंडी पड़ने के संकेत, प्रचंड ने कहा; मतभेदों को दूर करने के लिए हो रहा प्रयास

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर मची उठापटक के बीच विरोधी गुट के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा, प्रधानमंत्री के साथ मतभेदों को दूर करने के प्रयास चल रहे हैं। उन्होंने इस सिलसिले में पार्टी का महाधिवेशन आहूत किए जाने की संभावना से इन्कार किया है। प्रचंड के ताजा संकेतों से पता चलता है कि नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद से हटाने की मुहिम कमजोर पड़ी है और विरोधी गुट के तेवर नरम हुए हैं।

loksabha election banner

मंगलवार को होगी स्टैंडिंग कमेटी की बैठक

पता चला है कि पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी के 45 में से 15 सदस्यों के साथ प्रचंड ने अनौपचारिक बैठक कर तेवर नरम होने के संकेत दिए। काठमांडू पोस्ट अखबार ने इस बात की पुष्टि की है। स्टैंडिंग कमेटी की बैठक मंगलवार को प्रस्तावित है। इससे पहले वह सात बार टाली जा चुकी है। सबसे पहले 24 जून को कमेटी की बैठक में प्रधानमंत्री ओली के कुछ नेताओं के भारत के इशारे पर उन्हें (ओली को) सत्ता से हटाने की मुहिम चलाने संबंधी बयान पर नाराजगी जाहिर की गई थी। बैठक में ओली के बयान को आधारहीन बताते हुए उनसे वक्तव्य को सही ठहराने वाले सुबूत मांगे गए थे। सुबूत न पेश कर पाने पर इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। लेकिन इसी बीच नेपाल में चीन की राजदूत के सक्रिय होने के बाद ओली के खिलाफ छिड़ी मुहिम खटाई में पड़ती दिखाई दी। ओली से खास संबंधों के लिए चर्चित महिला राजदूत ने राजनयिक मर्यादा को ताक पर रखते हुए अंदरूनी राजनीति में दखल देकर न केवल राष्ट्रपति से मुलाकात की, बल्कि वह ओली विरोधी नेताओं से भी मिलीं। इन मुलाकातों में चीनी राजदूत ने भारत के प्रति तल्ख तेवर और चीन के प्रति समर्थन का भाव रखने वाले ओली के पक्ष में माहौल बनाने का कार्य किया।

पीएम ओली और प्रचंड के बीच हुआ गुप्त समझौता

शनिवार को प्रधानमंत्री ओली ने हालात पर विचार करने के लिए पार्टी का महाधिवेशन बुलाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन सोमवार को प्रचंड के साथ बैठक कर आईं स्टैंडिंग कमेटी की सदस्य मैत्रिका यादव ने इस संभावना से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा, प्रचंड की भी यही राय है। इसके लिए फिलहाल जरूरत नहीं महसूस की जा रही। राजनीतिक हलकों में माना रहा है कि प्रचंड का प्रधानमंत्री ओली के के साथ गुप्त समझौता हो गया है जिसके तहत साल के अंत में होने वाले महाधिवेशन में ओली पार्टी अध्यक्ष पद के लिए प्रचंड के नाम का समर्थन करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.