कैदियों की रिहाई के बाद एक सप्ताह के भीतर शांति वार्ता, तालिबान ने जताई सहमति
तालिबान ने सोमवार को अफगान शांति वार्ता के लिए सशर्त सहमति दे दी। तालिबान ने कहा कि कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक सप्ताह के भीतर ही शांति प्रक्रिया में शामिल हो
दोहा, एएफपी। तालिबान ने सोमवार को अफगान शांति वार्ता के लिए सशर्त सहमति दे दी। तालिबान ने कहा कि कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक सप्ताह के भीतर ही शांति प्रक्रिया में शामिल होंगे। दोहा में पहले राउंड की वार्ता के दौरान तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने एएफपी को बताया, 'हमारा पक्ष स्पष्ट है, यदि कैदियों की रिहाई पूरी हो जाती है तब हम एक सप्ताह के भीतर ही वार्ता के लिए तैयार हैं।' गंभीर अपराधों के आरोपी 400 तालिबानी कैदियों की रिहाई के लिए रविवार को अफगानिस्तान ने सहमति दे दी।'
तालिबान कैदियों के अंतिम समूह को रिहा किए जाने के एक सप्ताह के अंदर अफगानिस्तान सरकार और आतंकी संगठन के बीच शांति वार्ता शुरू हो जाएगी। यह जानकारी अमेरिका के विशेष दूत और अफगानिस्तान सरकार से जुड़े सूत्रों ने दी है। रविवार को लोया जिरगा द्वारा 400 खूंखार आतंकियों को रिहा करने की सलाह अफगानिस्तान सरकार ने मान ली है। राष्ट्रपति अशरफ गनी जल्द ही कैदियों को रिहा किए जाने वाले फरमान पर हस्ताक्षर कर देंगे। सूत्रों के मुताबिक रविवार से वार्ता शुरू हो जाएगी।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने सोमवार को बताया कि हम कैदियों को रिहा किए जाने के एक सप्ताह के अंदर बातचीत के लिए तैयार हैं। दरअसल, तालिबान कैदियों की रिहाई और अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर इस साल फरवरी में एक समझौता हुआ था। समझौते पर अमेरिका की तरफ से विशेष दूत जालमय खलीलजाद ने दस्तखत किए थे। खलीलजाद ने तालिबान कैदियों की रिहाई के मुद्दे पर हुई प्रगति का स्वागत किया है। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि अगले कुछ दिनों में हमें कैदियों की रिहाई की उम्मीद है। इसके बाद अफगानिस्तान सरकार की एक टीम दोहा जाएगी और जल्द ही अंतर अफगान वार्ता शुरू हो जाएगी।
बता दें कि तालिबान ने अंतर अफगान वार्ता शुरू करने के लिए 400 खूंखार आतंकियों सहित कुल पांच हजार कैदियों को रिहा किए जाने की शर्त रखी थी। हालांकि सरकार खूंखार आतंकियों को रिहा किए जाने से हिचक रही थी, क्योंकि इनमें से कई गंभीर हिंसात्मक घटनाओं में शामिल रहे हैं। ऐसी ही एक घटना 2017 में हुई थी जब काबुल स्थित जर्मनी के दूतावास के पास हुए आत्मघाती हमले में 150 से अधिक लोग मारे गए थे।
अमेरिका का अफगानिस्तान के साथ कोई गुप्त समझौता नहीं है। इसकी पुष्टि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने की। न्यूयॉर्क टाइम्स की तरफ से अफगानिस्तान के मामलों को कवर करने वाले मुजीब मशाल के मुताबिक जब गनी ने अमेरिका से पूछा कि क्या वह एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान के पक्ष में है तो इस पर व्हाइट हाउस ने शानदार जवाब दिया। बता दें कि लोया जिरगा ने 25 बिंदुओं वाला एक प्रस्ताव जारी किया है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हस्तक्षेप रोकने और आतंकवादी समूहों को समर्थन देना बंद करने का आग्रह किया है।