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अफगानी महिलाओं पर पड़ने लगीं नौकरी नहीं करने की बेड़ियां

मानवाधिकार संगठन की कार्यकर्ता फरिहा एसार ने कहा कि देश में लोग सरकार और कोई भी अधिकारी महिलाओं के भविष्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। हम अपना शिक्षा का अधिकार काम करने का अधिकार और राजनीतिक व सामाजिक भागीदारी का अधिकार कतई नहीं छोड़ेंगे।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 20 Aug 2021 03:55 PM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 03:55 PM (IST)
अफगानी महिलाओं पर पड़ने लगीं नौकरी नहीं करने की बेड़ियां
महिला पत्रकारों को भी काम करने से रोका गया

काबुल, एएनआइ। युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में तालिबान की भावी सरकार ने अभी से सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों में काम करने वाली महिलाओं पर काम करने से रोक लगानी शुरू कर दी है। इससे यह कामकाजी अफगान महिलाएं बेहद परेशान हैं। इसी तरह महिला पत्रकारों को भी तालिबान शासन से काम करने से रोक दिया है। तालिबानी शासन में अपने भविष्य को लेकर चिंतित इन महिलाओं को इस आतंकी संगठन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।

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टोलो न्यूज के अनुसार अनगिनत सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों में काम करने वाली अफगानी महिलाओं ने भावी सरकार में अपने अधिकारों की रक्षा की मांग की है। यह घटनाक्रम तब सामने आया जब तालिबान ने कहा कि एक नई सरकार के गठन के लिए उसने बातचीत शुरू कर दी है।

मानवाधिकार संगठन की कार्यकर्ता फरिहा एसार ने कहा कि देश में लोग, सरकार और कोई भी अधिकारी महिलाओं के भविष्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। हम अपना शिक्षा का अधिकार, काम करने का अधिकार और राजनीतिक व सामाजिक भागीदारी का अधिकार कतई नहीं छोड़ेंगे।

दूसरी ओर, अफगानिस्तान में कार्यरत महिला पत्रकारों ने भी बताया कि तालिबान की ओर से उन्हें काम करने से रोका जा रहा है। हालांकि तालिबान का आश्वासन है कि देश में शरिया कानून के दायरे में महिलाओं को काम करने की छूट होगी। आरटीए की एंकर शबनम खान दावरान ने बताया कि तालिबान ने उसे अपना काम करने के लिए अपने दफ्तर में प्रवेश करने से रोक दिया है। उन्होंने बताया कि वह अपना काम जारी रखना चाहती हैं। लेकिन तालिबान प्रशासन ने उनसे कहा कि अब सरकार बदल गई है और आप काम नहीं कर सकती हैं। इसीतरह एक अन्य महिला पत्रकार खादिजा ने कहा कि उन्हें भी तालिबान ने काम करने से रोका है।

तालिबान समर्थक मुस्लिम नेताओं को करें खारिज

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अफगानिस्तान में काबिज तालिबान का समर्थन करने वाले कुछ मुस्लिम नेताओं की आलोचना की है और कहा है कि भारतीय मुसलमान ऐसे लोगों को खारिज करें।

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