पहले से बेहाल लेबनान की बेरूत धमाके ने तोड़ दी है कमर, यूएन ने लगाई मदद की गुहार
बेरूत धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। यूएन ने यहां के लोगों को राहत प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है।
जिनेवा (संयुक्त राष्ट्र)। लेबनान के शहर में बेरूत में 4 अगस्त को हुए जबरदस्त विस्फोट के बाद देश में उपजे संकट के को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने राहत कार्यों के लिए 56 करोड़ डॉलर की अपील जारी की है। इससे यहां पर जीवनरक्षक कार्यों, मानवीय राहत कार्यों, पुनर्निर्माण और आर्थिक पुनर्बहाली पर खर्च किया जाएगा। यूएन को उम्मीद है कि इस मदद से यहां के प्रभावित लोगों के लिए भोजन, स्वास्थ्य रक्षा, शरण व संरक्षण के अलावा जल और स्वच्छता का इंतजाम कर पाना सम्भव हो सकेगा। इस धमाके में 180 लोगों की मौत हो गई थी और 5 हजार के करीब लोग घायल हो गए थे। इसके अलावा कई लापता बताए गए हैं।
इस धमाके से कई अस्पतालों को भी नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से कोविड-19 महामारी से जूझ रहे लेबनान में हालात काफी गंभीर हो गए हैं। यूएन रिपोर्ट के मुताबिक इस धमाके में छह अस्पताल, 20 स्वास्थ्य केंद्रों, 120 स्कूलों को क्षति पहुंची है। यूएन ने कहा है कि स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य, पीने का पानी और बिजली जैसी बुनियादी सेवाओं की सख्त जरूरत है जिन्हें पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत होगी।
बेरूत धमाके के बाद संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी ने वहां का दौरा करने के बाद कहा कि लेबनान की जनता के साथ-साथ देश में शरण लेने वाले शरणार्थियों व प्रवासियों की सहायता सुनिश्चित करना उनकी शीर्ष प्राथमिकता है। जिनेवा में एक प्रैस वार्ता के दौरान यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता बाबर बलोच ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के लिए सर्वोपरि प्राथमिकता लेबनानी समुदायों और शरणार्थियों की सहायता करना है। लेबनान में कोविड-19 महामारी का फैलाव रोकने के लिए तालाबंदी लागू होने के बाद से यूएन एजेंसी प्रमुख का यह पहला दौरा है। आपको बता दें कि दुनिया में देश की जनसंख्या के अनुपात में लेबनान में सबसे बड़ी संख्या में शरणार्थी रहते हैं।
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिनिधि नजत रोश्दी ने भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लेबनान की जनता के लिए सहायता करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि लेबनान की जनता ने सीरियाई और फिलीस्तीन के शरणार्थियों के लिए मुश्किल समय में दरियादिली दिखाई थी अब लेबनान की जनता की मदद करने का समय है। उन्होंने कहा है कि इस भीषण हादसे से हर कोई प्रभावित हुआ है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बेरूत धमाके के लिए जवाबदेही तय किए जाने की भी मांग की थी।
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अपने एक साझा में कहा था कि लेबनान पहले ही कोविड-19 महामारी और राजनैतिक, आर्थिक व वित्तीय संकट से जूझ रहा था। मौजूदा माहौल में मानवाधिकार हनन के मामलों में तेजी देखी जा रही है। यूएन विशेषज्ञों ने तत्काल सहायता, सहारे व पीड़ितों को मुआवजे की भी अपील की थी। बेरूत में इस घटना ने देश में प्रणालीगत खामियों, सुशासन की कमी और व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों को भी उजागर कर दिया है। यूएन की खबर के मुताबिक एक अनुमान के मुताबिक बेरूत में 40 हजार से ज्यादा इमारतों को नुकसान पहुंचा है और हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं।
इस विस्फोट के बाद अब तक 70 हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो चुके हैं। लेबनान में पिछले साल शुरू हुए वित्तीय संकट से लगभग सवा दो लाख लोगों की नौकरी पहले ही जा चुकी थी। वहीं कोविड-19 महामारी से लोगों के रोजगारों पर पड़ने वाले असर की अभी पूरी तरह समीक्षा नहीं की जा सकी है। इस हादसे का असर देश की मेडिकल सर्विस पर भी पड़ा है। धमाके से कम से कम दो हजार डॉक्टर या तो घायल हुए हैं या फिर उनके क्लीनिक बर्बाद हो गए हैं।