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आत्मघाती हमले में बाल-बाल बचे अफगान उप राष्ट्रपति, 11 समर्थकों की मौत, बढ़ सकती है संख्या

गौरतलब है कि अफगान के उप राष्ट्रपति अब्दुल राशिद दोस्तम के देश लौटने के कुछ देर बाद ही यह धमाका हो गया।

By Vikas JangraEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 07:03 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 07:57 AM (IST)
आत्मघाती हमले में बाल-बाल बचे अफगान उप राष्ट्रपति, 11 समर्थकों की मौत, बढ़ सकती है संख्या
आत्मघाती हमले में बाल-बाल बचे अफगान उप राष्ट्रपति, 11 समर्थकों की मौत, बढ़ सकती है संख्या

काबुल [रायटर/एएफपी]। काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हुए एक आत्मघाती हमले में अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अब्दुल रशीद दोस्तम बाल-बाल बच गए। धमाके में 11 लोगों की मौत हुई है। दोस्तम एक साल से अधिक समय के निर्वासन के बाद रविवार को ही स्वदेश लौटे थे। हमले से कुछ मिनट पहले ही उनका काफिला एयरपोर्ट से निकला था। अपने सियासी प्रतिद्वंद्वी का उत्पीड़न करने और यौन ¨हसा के आरोप लगने के बाद दोस्तम विदेश चले गए थे।

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काबुल पुलिस के प्रवक्ता हसमत स्तेनजाई ने कहा कि धमाका एयरपोर्ट के मुख्य प्रवेश द्वार के पास हुआ। उस दौरान वहां दोस्तम के समर्थक सिटी सेंटर जा रहे उनके काफिले का स्वागत करने को खड़े थे। हताहतों की संख्या बढ़ सकती है।

दोस्तम अफगानिस्तान में उजबेक समुदाय के सबसे ताकतवर नेता माने जाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक दोस्तम के स्वदेश लौटने को स्वयं राष्ट्रपति अशरफ गनी ने हरी झंडी दी है। इसके पीछे उनकी मंशा अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उजबेकों का समर्थन जुटाने की है।

बता दें कि वर्ष 2009 में गनी ने दोस्तम को 'जाने-पहचाने कातिल' की संज्ञा दी थी, लेकिन वर्ष 2014 आते-आते उनका नजरिया बदला और दोस्तम को गनी ने उप राष्ट्रपति पद के लिए चुन लिया। राष्ट्रपति के प्रवक्ता हारुन चकनसुरी ने बताया कि वे आने के साथ ही अपना पदभार संभालेंगे।

दोस्तम पर जौजान प्रांत के पूर्व गवर्नर और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अहमद इशची के अपहरण का आरोप लगा था। इशची को 2016 में अगवा कर लिया गया था। हालांकि दोस्तम ने आरोपों से इन्कार किया था, लेकिन इस कांड में उनके सात अंगरक्षकों को दोषी ठहराया गया था। दोस्तम को इस मामले में अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों की आलोचना का भी सामना करना पड़ा था। इन आरोपों के बाद देश छोड़कर जाने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि वे बीमारी और पारिवारिक कारणों के चलते तुर्की गए थे।


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