Move to Jagran APP

अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राजपक्षे, पहले ही दे दिए थे संकेत

महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोकने संबंधी अदालत के आदेश के खिलाफ मंगलवार को श्रीलंका की सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 04 Dec 2018 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 04 Dec 2018 10:06 PM (IST)
अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राजपक्षे, पहले ही दे दिए थे संकेत
अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राजपक्षे, पहले ही दे दिए थे संकेत

कोलंबो, प्रेट्र । महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोकने संबंधी अदालत के आदेश के खिलाफ मंगलवार को श्रीलंका की सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई। डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक सांसद जी लोकुगे ने इसकी पुष्टि की है। राजपक्षे ने सोमवार को ही इसके संकेत दे दिए थे।

loksabha election banner

बता दें कि अदालत ने सोमवार को दिए अपने अंतरिम आदेश में राजपक्षे और उनकी कैबिनेट को काम करने से अस्थायी तौर पर रोक दिया था। कोर्ट ने राजपक्षे की विवादित सरकार के खिलाफ 122 सांसदों द्वारा दायर याचिका के जवाब में यह आदेश दिया था।

विक्रमसिंघे सहित कई पार्टियों ने पिछले महीने दायर की थी याचिका

राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त करने केफैसले के खिलाफ विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी), जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) और तमिल नेशनल एलायंस ने पिछले महीने अपीलीय अदालत में याचिका दायर की थी। इसमें प्रधानमंत्री के रूप में राजपक्षे के अधिकारों को चुनौती दी गई थी।

सिरिसेन और राजपक्षे के लिए झटका था आदेश

श्रीलंका में 26 अक्टूबर से राजनीतिक संकट कायम है। राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने 26 अक्टूबर को विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह राजपक्षे को नियुक्त कर दिया था। अपीलीय अदालत का अंतरिम आदेश दोनों सिरीसेन और राजपक्षे के लिए बड़ा झटका है। सिरिसेन ने बाद में संसद का कार्यकाल खत्म होने से करीब 20 महीने पहले ही उसे भंग कर दिया और चुनाव कराने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के सिरीसेन के निर्णय को पलट दिया और मध्यावधि चुनावों की तैयारियों पर रोक लगा दी थी।

विक्रमसिंघे ने हिटलर से की राष्ट्रपति सिरिसेन की तुलना

पदच्युत किए गए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को राष्ट्रपति सिरिसेन की तुलना हिटलर से की। उन्होंने कहा कि वह मध्यावधि चुनावों से नहीं डरते, लेकिन वह तानाशाह द्वारा कराए जाने वाले जनमत संग्रह के खिलाफ हैं। मीडिया से बात करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा, 'सरकार में मौजूद जो भी लोग यहां मौजूद हैं, उन्होंने संविधान की रक्षा करने की शपथ ली है।' उन्होंने कहा, 'जहां तक चुनावों की बात है तो हमारी सिर्फ दो चिंताएं हैं। सबसे पहले यह एक वैध सरकार के समय पर होने चाहिए। दूसरा, सभी पार्टियां चुनाव की तारीखों को लेकर एकमत होनी चाहिए।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.