Move to Jagran APP

बाल अधिकार सम्‍मेलन के 30 साल, श्रीलंका में दो दिवसीय इवेंट आयोजित

श्रीलंका की संसद और यूनिसेफ ने मिलकर एक इवेंट आयोजित किया जो बाल अधिकार सम्‍मेलन के 30 साल पूरे होने के अवसर पर किया गया। इसमें दक्षिण एशिया के तमाम सांसद शामिल हुए

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 05:33 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 05:46 PM (IST)
बाल अधिकार सम्‍मेलन के 30 साल, श्रीलंका में दो दिवसीय इवेंट आयोजित
बाल अधिकार सम्‍मेलन के 30 साल, श्रीलंका में दो दिवसीय इवेंट आयोजित

कोलंबो, एजेंसी। श्रीलंकाई संसद व यूनिसेफ (UNICEF) ने मिलकर बाल अधिकारों के सम्‍मेलन की 30वीं वर्षगांठ के मौके पर एक समारोह का आयोजन किया। इसमें दक्षिण एशिया के सांसदों को बुलाया गया। यह दो दिवसीय इवेंट सोमवार से शुरू हुआ।

loksabha election banner

इवेंट में क्षेत्र के बच्‍चों के हालात पर नजर रखने पर जोर दिया गया साथ ही बाल अधिकारों की राह में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई। इवेंट में सांसदों को नई प्रतिबद्धताओं को बनाने का मौका दिया गया। अपने भाषण में श्रीलंकाई संसद के स्‍पीकर कारु जयसूर्या ने कहा कि दक्षिण एशिया का भविष्‍य यहां के बच्‍चों के भविष्‍य पर निर्भर करता है। इसलिए यहां बच्‍चों की देखभाल बेहतर होनी चाहिए। दक्षिण एशियाई जनसंख्‍या का 36 फीसद हिस्‍सा यहां के बच्‍चे हैं।

दक्षिण एशिया यूनिसेफ की क्षेत्रीय निदेशक जीन गॉग ने कहा कि सम्‍मेलन से बच्‍चों के जीवन को और बेहतर बनाने में मदद मिलती है। साथ ही उन्‍होंने सरकार के अनुकूल नीतियां और निवेश बनाने का आश्‍वासन दिया ताकि बच्‍चों को अच्‍छी जिंदगी और सुरक्षित बचपन मिल सके। उनहोंने कहा अभी भी सम्‍मेलन पूरी तरह हर जगह लागू नहीं है और बच्‍चों को अपने अधिकार नहीं मिल रहे हैं। उन्‍हें पर्याप्‍त चिकित्‍सा, पोषण, शिक्षा और सुरक्षा नहीं मिल पा रहा।

बच्‍चों के लिए दक्षिण एशियाई सांसदों का समूह कोलंबो में दो दिनों के लिए जमा हुआ। यूनिसेफ की ओर से यह तीसरा साल है जब सांसदों के साथ इस तरह का आयोजन किया गया है।

30 साल हो गए बाल अधिकारों में बदलाव नहीं हुआ। लेकिन 627 मिलियन दक्षिण एशियाई बच्‍चों का बचपन बदल गया है और विकास देखा गया है। हालांकि इंटरनेट के आने से, जलवायु परिवर्तन से, तेजी से हो रहे शहरीकरण समेत इसमें अन्‍य चुनौतियां हैं।

जीन गॉग ने कहा, ‘हमें बच्‍चों के लिए नए खतरों का आभास है लेकिन अपने अधिकारों को महसूस करने के लिए उनके पास कई नए मौके भी हैं। इसलिए हम दक्षिण एशिया के सांसदों के साथ बात करने को तैयार हैं।’

20 नवंबर 1989 को इस सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया और इसे 195 देशों के द्वारा समर्थन मिला। इस सम्मेलन में 54 अनुच्छेद हैं। इनमें बच्चे के जीवन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें बच्‍चों के सभी नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लेख है।

सीरिया में आठ वर्षो से जारी गृह युद्ध के चलते पिछले साल 1106 बच्चों की हुई मौत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.