Move to Jagran APP

पीएम मोदी बोले, भारत और श्रीलंका के रिश्ते हजारों साल पुराने, दोनों देशों के रिश्‍ते को विशेष प्राथमिकता

पिछले महीने प्रीमियरशिप संभालने के बाद से प्रधान मंत्री राजपक्षे द्वारा यह पहली वर्चुअल शिखर-स्तरीय बातचीत है। राजपक्षे और मोदी राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था रक्षा पर्यटन और आपसी हित के अन्य क्षेत्र को लेकर बातचीत करेंगे। वर्चुअल बैठक शुरू हो गई है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 09:48 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 02:43 PM (IST)
पीएम मोदी बोले, भारत और श्रीलंका के रिश्ते हजारों साल पुराने, दोनों देशों के रिश्‍ते को विशेष प्राथमिकता
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शनिवार को वर्चुअल बैठक।

कोलंबो, पीटीआइ। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शनिवार को वर्चुअल मीटिंग हुई। सबसे पहले पीएम मोदी ने भारत और श्रीलंका के बीच इस वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए निमंत्रण स्वीकार पर श्रीलंका के पीएम महिंदा राजपक्षे को धन्यवाद कहा। मोदी ने राजपक्षे को प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने और संसदीय चुनावों में उनकी पार्टी की जीत के लिए भी बधाई दी।

prime article banner

भारत-श्रीलंका वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत और श्रीलंका के रिश्ते हजारों साल पुराने हैं। मेरी सरकार की 'पड़ोसी पहले' की नीति और सागर सिद्धांत के तहत हम दोनों देशों के रिश्‍ते को विशेष प्राथमिकता देते हैं।  

इसके बाद लंका के पीएम महिंदा राजपक्षे ने सबसे पहले भारत की तारीफ करते हुए कहा, 'COVID19 महामारी के दौरान भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर जैसे काम किया, मैं इसके लिए आभार व्यक्त करता हूं।' उन्होंने आगे कहा कि एमटी न्यू डायमंड जहाज पर आग को बुझाने के ऑपरेशन ने दोनों देशों के बीच अधिक सहयोग का अवसर प्रदान किया।

अधिकारियों के अनुसार, शनिवार को अपने वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान राजपक्षे और उनके भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता में मछुआरों का मुद्दा एक महत्वपूर्ण बिंदु था। राजपक्षे के मीडिया कार्यालय ने शनिवार को कहा था कि प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को स्थानीय मछली पकड़ने वाले संगठनों की एक बड़ी टुकड़ी के साथ बातचीत की और दोनों देशों के बीच यह मुद्दा चर्चा का प्रमुख बिंदु होगा।

शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर आयोजित किया जा रहा है, जिनकी इस साल 6 अगस्त को श्रीलंका के नव-नियुक्त प्रधानमंत्री के साथ टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। राजपक्षे के कार्यालय ने कहा कि मछुआरा समुदाय ने प्रमुख को बताया कि सीओवीआईडी -19 के प्रकोप के बाद से, भारतीय अधिकारी अब अवैध शिकार करने वाले अपने मछुआरों को उनकी सीमा तक नहीं रोकते। इससे स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदाय के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। बता दें कि श्रीलंकाई जल में भारतीयों द्वारा मछली पकड़ना एक पुरानी और बड़ी समस्या रही है और पिछले दिनों भी दोनों पड़ोसियों के बीच इशपर उच्च-स्तरीय वार्ता में हुई थी।

फिर जहां राजपक्षे ने उन्हें आश्वासन दिया था कि इस मुद्दे को भारतीय नेता के साथ उठाया जाएगा और श्रीलंकाई नौसेना को देश के जल में अवैध शिकार करने वाले किसी को भी गिरफ्तार करना चाहिए। इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच आपसी द्विपक्षीय अंतर-राजनीतिक, आर्थिक, वित्त, विकास, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों, शैक्षिक, पर्यटन और सांस्कृतिक के साथ-साथ पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद जताई गई थी। पिछले महीने प्रीमियरशिप संभालने के बाद से प्रधान मंत्री राजपक्षे द्वारा यह पहली वर्चुअल शिखर-स्तरीय बातचीत थी।

हिंद महासागर में शांति और स्वतंत्र आवागमन का पक्षधर

हिंद महासागर में चीन की ताकत बढ़ाने वाली हरकतों के बीच श्रीलंका ने साफ कर दिया है कि वह इस समुद्री क्षेत्र को किसी के शक्ति प्रदर्शन का अड्डा बनाए जाने के विरोध में है। संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने प्री-रिकॉर्डेड भाषण में कहा, हमारी प्राथमिकता ¨हद महासागर क्षेत्र में शांति बनाए रखने की है, जहां कोई देश किसी अन्य पर अपनी बढ़त साबित न कर पाए। श्रीलंका हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक महत्व वाले स्थान पर स्थित है। भारत को घेरने के लिए चीन श्रीलंका के इस महत्व के इस्तेमाल की कोशिश में है।

राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका आने वाले समय में भी अपनी निष्पक्ष विदेश नीति बनाए रखेगा। वह ऐसे किसी देश या समूह की नजदीकी से दूर रहेगा जिससे उसकी निष्पक्षता प्रभावित होती हो। इस समुद्री मार्ग के आर्थिक महत्व के मद्देनजर शक्तिशाली देशों की जिम्मेदारी है कि वे हिंद महासागर क्षेत्र को शांत, निष्पक्ष और स्वतंत्र आवागमन वाला क्षेत्र बनाए रखने में सहयोग दें। शक्तिशाली देश इस समुद्री क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा को भी किसी तरह का नुकसान न खुद पहुंचाएं और न ही नुकसान होने दें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK