राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा, महिंद्रा राजपक्षे बनेंगे नए पीएम
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। नए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे अपने भाई महिंदा राजपक्षे का नाम पीएम के रूप में नामांकित किया है।
कोलंबो, प्रेट/एएनआइ। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके कार्यालय ने बुधवार को कहा, राष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार के गोतभाया राजपक्षे से हारने पर यह कदम उठाया है। वहीं एएनआइ ने श्रीलंका मीडिया के हवाले से खबर दी है कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे अपने भाई महिंदा राजपक्षे का नाम प्रधान मंत्री के रूप में नामांकित किया है।
मंगलवार को राष्ट्रपति राजपक्षे से मुलाकात की थी
एक विशेष वक्तव्य में प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को राष्ट्रपति राजपक्षे से मुलाकात की और श्रीलंका के संसद के भविष्य पर चर्चा की। यह जानकारी कोलंबो गजट समाचार पत्र ने दी है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के पास अभी भी संसद में बहुमत है। राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे को दिए गए जनादेश का सम्मान करते हुए पद छोड़ने का फैसला किया गया। राजपक्षे के शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद उन्हें पद छोड़ने और सरकार को विपरीत खेमे को सौंपने का दबाव था। राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे ने विक्रमसिंघे के डिप्टी साजिथ प्रेमदासा को हराया है।
महिद्रा राजपक्षे अगले पीएम नियुक्त होंगे
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति गोतभाया राजपक्षे अपने बड़े भाई और पूर्व मुख्य विपक्षी नेता महेंद्र राजपक्षे को अगले प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करेंगे। महिंद्रा राजपक्षे को 26 अक्टूबर, 2018 को तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया था। इस विवादास्पद कदम ने देश को एक अभूतपूर्व संवैधानिक संकट में डाल दिया था।
उन्होंने दिसंबर में इस्तीफा दे दिया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के दो महत्वपूर्ण फैसलों ने पूर्व पीएम रानिल विक्रमसिंघे के प्रयासों को प्रभावित किया, जिन्हें पीएम पद के लिए जरूरी बताया था। शीर्ष अदालत ने बाद में सर्वसम्मति से घोषणा की कि सिरिसेना द्वारा संसद को भंग करना "अवैध" था। 2005 में महिंदा ने सत्ता हासिल की थी और दक्षिण एशिया के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेता बन गए थे। वह 1970 में 24 साल की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के सांसद बने।