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Sri Lanka Energy Crisis: श्रीलंका में ईधन की कमी से बिगड़े हालात, सोमवार से सरकारी स्कूलों और आफिस में वर्क फ्राम होम का हुआ एलान

श्रीलंका में नागरिकों को भारी बिजली कटौती का सामना भी करना पड़ रहा है। श्रीलंका में इस वक्त फॉरेन एक्सचेंज तेल खाद्य पदार्थ और जरूरी दवाओं की भारी कमी है जिसके कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चौपट हो गई है।

By Shashank Shekhar MishraEdited By: Published: Sat, 18 Jun 2022 10:00 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jun 2022 10:00 PM (IST)
Sri Lanka Energy Crisis: श्रीलंका में ईधन की कमी से बिगड़े हालात, सोमवार से सरकारी स्कूलों और आफिस में वर्क फ्राम होम का हुआ एलान
श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से अब तब के सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

कोलंबो, प्रेट्र। संकट में घिरी श्रीलंका सरकार ने सोमवार से शुरू हो रहे अगले सप्ताह से सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों को बंद रखने की घोषणा की है। यह कदम गंभीर ईधन संकट के कारण उठाया जा रहा है। डेली मिरर समाचार-पत्र के अनुसार, श्रीलंका के शिक्षा मंत्रालय ने भी लंबे समय के बिजली कट को देखते हुए कोलंबो शहर के भीतर सभी सरकारी और सरकार द्वारा स्वीकृत निजी स्कूलों को अगले सप्ताह से आनलाइन क्लास शुरू करने को कहा है।

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मौजूदा ईधन भंडार के तेजी से कम होते जाने से श्रीलंका पर इसके आयात के बदले भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा हासिल करने का भारी दबाव है। ईधन की कमी ने देश की अर्थव्यवस्था के कई सेक्टरों को ठप कर दिया है। पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं को घंटों कतार में खड़े रहकर इंतजार करना पड़ रहा है।

लोक प्रशासन मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सभी सरकारी संस्थानों और लोकल काउंसिल को सोमवार से ऑफिस बंद रखने को कहा है। क्योंकि देश में पेट्रोल और डीजल की भारी कमी है।

इस आदेश में कहा गया कि ईधन की आपूर्ति में भारी कमी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और निजी वाहनों के इस्तेमाल करने में कठिनाई के कारण यह फैसला लिया गया है। हालांकि हेल्थ सर्विस से जुड़े कर्मचारी को राहत दी गई है।

बता दें कि श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से अब तब के सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। आलम यह है कि सरकार के पास जरूरी वस्तुओं का आयात करने के लिए पैसा नहीं बचा है। देशभर के पेट्रोल पंप पर वाहनों की लंबी कतारे लगी हुई हैं और लोग ईंधन की आपूर्ति नहीं होने के कारण विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

इसके अलावा श्रीलंका में नागरिकों को भारी बिजली कटौती का सामना भी करना पड़ रहा है। श्रीलंका में इस वक्त फॉरेन एक्सचेंज, तेल, खाद्य पदार्थ और जरूरी दवाओं की भारी कमी है, जिसके कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चौपट हो गई है।

पिछले साल अप्रैल में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने केमिकल और फर्टिलाइजर उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी। जिसके अभाव में खेतों में फसलें खराब हो गई और अनाज का संकट पैदा हो गया. सरकार को खाने-पीने की वस्तु अन्य देशों से मंगानी पड़ी जिसके चलते महंगाई बढ़ी है।

कच्चे तेल की भारी कमी बना श्रीलंका में ऊर्जा संकट का कारण

आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में इस साल काफी तेजी देखने को मिली है। यही कारण है कि क्रूड ऑयल की कीमतें आसमान छू रही हैं। श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री विजेसेकरा ने कहा सरकार कच्चे तेल के लिए दूसरी तरह से भी प्रबंध का प्रयास कर रही थी, लेकिन यह बहुत महंगा पड़ रहा था।

उन्होंने जानकारी दी कि देश में डीजल की 5400 मीट्रिक टन प्रतिदिन मांग के विपरीत केवल 3000 मीट्रिक टन ही पूरी की जा पा रही है। वहीं, पेट्रोल की 3400 मीट्रिक टन मांग के विपरीत केवल 2600 मीट्रिक टन ही पूरी की जा रही है।


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