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Sri lanka Crisis: श्रीलंका को एक बार फिर घेरने की कोशिश में जुट सकता है चीन, ड्रैगन की क्या है अगली चाल

श्रीलंका के साथ ऋण पुनर्गठन को लेकर बातचीत कर सकता है चीन। उधारदाताओं में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य बहुपक्षीय जैसे विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक भी शामिल हैं। हालांकि इन सभी संस्थाओं में चीन ने सबसे ज्यादा श्रीलंका को उधार दिया है।

By Piyush KumarEdited By: Published: Tue, 16 Aug 2022 08:28 PM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2022 08:28 PM (IST)
Sri lanka Crisis: श्रीलंका को एक बार फिर घेरने की कोशिश में जुट सकता है चीन, ड्रैगन की क्या है अगली चाल
चीन की बुरी नजर श्रीलंका के प्राकृतिक संसाधनों के जरिए फायदा उठाने पर है।(फाइल फोटो)

कोलंबो, एजेंसी। आजादी के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट और ऋण के बोझ तले दबा श्रीलंका का फायदा चीन उठाने की कोशिश में जुटा है। एक तरफ जहां श्रीलंका के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, वहीं, दूसरी ओर चीन की कोशिश है कि श्रीलंका के साथ एक बार फिर ऋण के मामले पर बातचीत की जाए। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, चीन, श्रीलंका के साथ ऋण पुनर्गठन को लेकर बातचीत कर सकता है। इस प्रक्रिया के जरिए चीन द्वारा श्रीलंका को राहत देने के आड़ में नापाक मंसूबों को अंजाम दे सकता है। बता दें कि उधारदाताओं में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य बहुपक्षीय, जैसे विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक भी शामिल हैं। हालांकि चीन ने सबसे ज्यादा उधार श्रीलंका को दी है।

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कुल कर्ज 81 बिलियन अमरीकी डॅालर से अधिक होने की उम्मीद है

बता दें कि चीन द्वारा श्रीलंका की बुरी आर्थिक हालत के बारे में हाल ही में एक साक्षात्कार में आईएमएफ के एक अधिकारी ने कहा, 'श्रीलंका को ऋण पुनर्गठन के मामले पर चीन के साथ आक्रामक रूप से बातचीत करने की जरुरत है। श्रीलंका का कुल कर्ज (घरेलू और विदेशी मुद्रा सहित) 81 बिलियन अमरीकी डॅालर से अधिक होने की उम्मीद है और सरकार का ब्याज भुगतान बिल दुनिया में सबसे अधिक है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 7 प्रतिशत है।

श्रीलंका पर निजी लेनदारों का लगभग 12.3 बिलियन अमरीकी डालर बकाया है। श्रीलंका पर निजी लेनदारों का लगभग 12.3 बिलियन अमरीकी डालर बकाया है। वहीं, वार्षिक विदेशी ऋण भुगतान 2009 में 1.3 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर साल 2020 में 4.1 बिलियन अमेरिकी डॅालर हो गया है। बता दें कि कुछ दिनों पहले श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने कहा था कि देश विदेशी कर्ज के भुगतान की स्थिति में नहीं है। इनमें विदेशों से लिया

ऋण भी शामिल है।


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