अमेरिका ने दी हरी झंडी, अब South Korea लॉन्च करेगा सेटेलाइट, North Korea पर रखेगा नजर
अब दक्षिण कोरिया भी अंतरिक्ष में अपने प्रक्षेपण यान भेज सकेगा। इसी के साथ वो अपने कट्टर दुश्मन नॉर्थ कोरिया की गतिविधियों पर भी निगरानी रख सकेगा।
सियोल, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। अब दक्षिण कोरिया भी अंतरिक्ष में अपने प्रक्षेपण यान भेज सकेगा। इसी के साथ वो अपने कट्टर दुश्मन नॉर्थ कोरिया की गतिविधियों पर भी निगरानी रख सकेगा। अमेरिका ने दक्षिण कोरिया को अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान में ठोस ईंधन के इस्तेमाल की मंजूरी देने के लिए सहमत हो गया है।
अमेरिका से मंजूरी मिल जाने के बाद अब इससे सियोल के अपने पहले निगरानी उपग्रहों को लॉन्च करने और अधिक शक्तिशाली मिसाइल के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी हासिल करने में सक्षम होने की संभावना है। ठोस ईंधन मिसाइल और रॉकेट को अधिक गतिशीलता प्रदान करता है और लॉन्च की तैयारी में लगने वाले समय को भी कम करता है।
दरअसल अब तक अमेरिका ने सियोल पर अंतरिक्ष में यान प्रक्षेपण करने पर ठोस ईंधन के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी थी। अमेरिका को ये चिंता थी कि यदि सियोल को इसके इस्तेमाल के लिए इजाजत दे दी गई तो कहीं वो इसका इस्तेमाल बड़ी मिसाइल बनाने के लिए न कर लें। ऐसी स्थिति में दोनों देशों के बीच हथियार की दौड़ शुरू हो सकती है।
दक्षिण कोरियाई सरकार ने मंगलवार को कहा कि इस तरह के प्रतिबंधों को हटाने के लिए सियोल और वाशिंगटन संबंधित द्विपक्षीय मिसाइल दिशानिर्देशों को संशोधित करने पर सहमत हुए हैं। उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किम ह्यून चोंग ने मंगलवार को इसके बारे में कहा कि सभी दक्षिण कोरियाई अनुसंधान संस्थान, कम्पनियां और व्यक्ति अब ठोस ईंधन के इस्तेमाल से अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेट विकसित करने, उत्पादन करने और रखने के लिए स्वतंत्र है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दक्षिण कोरिया द्वारा अपनी रक्षा के लिए पर्याप्त खर्च नहीं करने का आरोप लगाते हुए इस साल 1.04 ट्रिलियन डॉलर (866 मिलियन डॉलर) की तेज वृद्धि पर जोर दिया है। संशोधित दिशानिर्देशों के तहत किम ने कहा कि वाशिंगटन ने इस बात पर सीमा हटा दी है कि दक्षिण कोरिया द्वारा अंतरिक्ष वाहनों को लॉन्च करने के लिए कितने ठोस ईंधन वाले रॉकेट बनाए जा सकते हैं। ठोस-ईंधन रॉकेट अपने तरल-ईंधन समकक्षों की तुलना में स्टोर करने और संभालने में बहुत आसान होते हैं, जो उन्हें मिसाइल इंजन के लिए आदर्श बनाते हैं।
दक्षिण कोरिया को लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए संभावित अनुप्रयोगों के साथ शक्तिशाली रॉकेट बनाने की अनुमति मिलती है। किम ने कहा कि सोल 800 किलोमीटर या 497 मील से अधिक की बैलिस्टिक मिसाइलों का निर्माण करने के लिए बाध्य नहीं है लेकिन किम ने अगले कई वर्षों के भीतर अपने स्वयं के ठोस ईंधन रॉकेटों का उपयोग करके कम-कक्षा की सैन्य निगरानी उपग्रह लॉन्च करने की उम्मीद की। राष्ट्रीय समाचार एजेंसी योनहाप ने बताया कि दक्षिण कोरिया ने 1 अरब डॉलर की लागत से 2023 तक पांच सैन्य टोही उपग्रहों को तैनात करने की योजना बनाई है।
किम ने कहा कि फिलहाल इस तरह का वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है कि कितने किलोमीटर की दूरी तक वाले प्रक्षेपण तैयार किए जाएंगे मगर जल्द ही 24 घंटे आसमान से कोरियाई प्रायद्वीप की निगरानी करने वाली उत्कृष्ट प्रक्षेपण उपग्रह तैयार कर लिए जाएंगे। इनसे नॉर्थ कोरिया की गतिविधियों पर भी निगरानी रखी जा सकेगी।
अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसकी वजह से नॉर्थ कोरिया तानाशाह किम जोंग उन नई-नई मिसाइलों और बैलिस्टिक का परीक्षण करता रहता है, इसी वजह से वो दुनिया को धमकाने की ताकत पैदा कर रहा है। हथियारों के मामले में नॉर्थ कोरिया नित नए परीक्षण कर रहा है, प्रक्षेपण उपग्रह से इस पर निगरानी रखी जा सकेगी।
नॉर्थ कोरिया की निगरानी के लिए अमेरिकी जासूसों के बजाय दक्षिण कोरिया के पास अपना खुद का कोई सैन्य उपग्रह नहीं है। लेकिन ट्रंप ने नॉर्थ कोरिया की परमाणु और मिसाइल क्षमताओं में तेजी से विस्तार करने के साथ ही दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिकों को रखने की योग्यता पर सवाल उठाया। सियोल ने नॉर्थ कोरियाई खतरे का मुकाबला करने के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए संघर्ष किया है।
अब अमेरिका ने मिसाइलों के निर्माण में तकनीकी मदद के साथ दक्षिण कोरिया को प्रदान किया। लेकिन इसने क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ पर चिंता के कारण मिसाइल विकास पर प्रतिबंध भी लगाया। दिशानिर्देशों को पहले तीन बार संशोधित किया गया है।
2012 में नॉर्थ कोरिया की मिसाइल खतरा बढ़ गया था, इसको देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका ने दक्षिण कोरिया को 497 मील तक की ठोस ईंधन वाली बैलिस्टिक मिसाइल रखने की सहमति दी थी। 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने पेलोड की सीमा को हटा दिया। दक्षिण कोरिया को 497 मील से अधिक की रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने पर अभी भी प्रतिबंध है। दक्षिण कोरिया ने मार्च में एक नई शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल, Hyunmoo-4 का परीक्षण किया। दक्षिण कोरियाई समाचार मीडिया के अनुसार, मिसाइल में 497 मील की दूरी थी लेकिन 2 टन तक का पेलोड ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।