शुरू में ही हो सकती है कोरोना के गंभीर मामलों की पहचान, इम्यून सिस्टम का कुछ इस तरह कर सकते हैं पता
Research on Covid-19 इससे यह उम्मीद जगी है कि इस तरीके से कोरोना संक्रमण की शुरुआत में ही यह पता लगाया जा सकता है कि किन रोगियों में प्रतिरक्षा प्रणाली सही तरह से काम नहीं कर रही है।
सिडनी, एएनआइ। कोरोना वायरस (COVID-19) के गंभीर मामलों की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान के लिए एक नया अध्ययन किया गया है। ऑस्ट्रेलियाई विज्ञानियों ने जांच के लिए एक ऐसा नया तरीका विकसित किया है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि पीड़ितों में कोरोना से मुकाबले में प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) सक्षम है या नहीं। इससे यह उम्मीद जगी है कि इस तरीके से कोरोना संक्रमण की शुरुआत में ही यह पता लगाया जा सकता है कि किन रोगियों में प्रतिरक्षा प्रणाली सही तरह से काम नहीं कर रही है। इससे उन मरीजों की पहचान हो सकती है, जिनकी हालत नाजुक होने का उच्च खतरा हो सकता है।
टेस्ट के जरिये दो प्रकार के केमिकल सिग्नलों कीहो सकती है पहचान
ऑस्ट्रेलिया के क्यूआइएमआर बरगॉफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक प्रोटोटाइप टेस्ट विकसित किया है। इस टेस्ट के जरिये दो प्रकार के केमिकल सिग्नलों की पहचान हो सकती है। दोनों सिग्नलों की उत्पत्ति टी सेल्स उस समय करती है, जब कोरोना संक्रमित कोशिकाओं की पहचान होती है और संक्रमण से मुकाबला करती है। दरअसल, टी सेल्स इम्यून सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाएं) होती हैं, जो कोरोना संक्रमित कोशिकाओं की पहचान कर उनका सफाया करती हैं।
44 लोगों के रक्त नमूनों का किया गया परीक्षण
बरगॉफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर कोरी स्मिथ के अनुसार, शोधकर्ताओं ने कोरोना से उबरने वाले 44 लोगों के रक्त नमूनों का परीक्षण किया। इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। उन्होंने बताया कि टी सेल्स वायरस से मुकाबले के दौरान कई प्रकार के सिग्नलिंग मॉलिक्यूल का निर्माण करती हैं। ये मॉलिक्यूल मुख्य रूप से इस बात के संकेतक होते हैं कि टी सेल्स कोरोना के खिलाफ प्रतिक्रिया दिखा रही है या नहीं। इस अध्ययन का प्रकाशन क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल इम्युनोलॉजी पत्रिका में किया गया है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण ने विश्वभर में एक महामारी का रूप ले लिया है।