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विश्व सिंधी कांग्रेस ने पाकिस्तान को लिया आड़े हाथ, कहा- अल्पसंख्यकों पर कर रहा सबसे ज्यादा अत्याचार

जिनेवा में विश्व सिंधी कांग्रेस के महासचिव लखू लुहाना ने कहा कि पाकिस्तान सिंध के लोग नहीं बल्कि संसाधन और भूमि चाहते हैं।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 08:38 AM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 08:48 AM (IST)
विश्व सिंधी कांग्रेस ने पाकिस्तान को लिया आड़े हाथ, कहा- अल्पसंख्यकों पर कर रहा सबसे ज्यादा अत्याचार
विश्व सिंधी कांग्रेस ने पाकिस्तान को लिया आड़े हाथ, कहा- अल्पसंख्यकों पर कर रहा सबसे ज्यादा अत्याचार

स्विट्जरलैंड, एएनआइ। पाकिस्तान जहां एक कश्मीर का राग अलापने से बाज नहीं आ रहा है। वहीं दूसरी और अपने ही मुल्क में अल्पसंख्यों के साथ हो रहे अत्याचारों को छुपाता रहा है। जिनेवा में विश्व सिंधी कांग्रेस के महासचिव लखू लुहाना ने कहा कि वे (पाकिस्तान) सिंध के लोग नहीं बल्कि संसाधन और भूमि चाहते हैं। वे राजनीतिक कार्यकर्ताओं का अपहरण कर रहे हैं, अल्पसंख्यकों को मुल्क छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सिंधी लोगों के ऐतिहासिक अधिकारों के खिलाफ निर्णय ले रहे हैं, साथ ही सामाजिक और नागरिक संघर्ष पैदा कर रहे हैं।   

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उन्होंने आगे कहा कि हमने आज अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की मांग की, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को इसकी सदस्यता निलंबित कर देनी चाहिए जब तक कि वह सभी अपहरण करे हुए लोगों को छोड़ नहीं देते और जब तक कि वे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को रोक नहीं देते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में कोई दूसरा देश नहीं है जिसके सैन्य को ISPR विभाग मिला है, यह केवल पाकिस्तान है। वे अपने आख्यान रखने की कोशिश कर रहे हैं और पाकिस्तान सबसे ज्यादा अत्याचार कर रहा है ऐसा आत्याचार जो मानव जाति ने कभी देखा है।

ब्लूच नेताओं ने भी साधा निशाना 
जिनेवा में चल रहे UNHRC की बैठक के दौरान भी बलूचिस्तान का मुद्दा गरमाता जा रहा है। जिनेवा में बलूच मानवाधिकार परिषद के जनरल सेक्रेटरी समद बलूच ने हाल ही में बयान दिया है। समद बलूच ने कहा, 'हमने बहुत कुछ झेला है। हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक अधिकारों को नकार दिया गया है। बलूचिस्तान को सिर्फ लूटा गया है, पाकिस्तान ने हमारे संसाधनों को लूटा है। बता दें कि बलूचिस्तान में आए दिन पाकिस्तान से आजादी के नारे लगाए जाते हैं। यहां के लोग बीते सात दशकों से बलूचिस्तान की आजादी और हक के लिए लड़ रहे हैं। 

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