वैज्ञानिकों का दावा- कोरोना से जंग में प्रभावी है रेमडेसिविर, इससे पहले प्रभावों को लेकर उठे थे सवाल
वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) के इलाज में रेमडेसिविर दवा को काफी प्रभावी पाया है। ऐसे समय जब पूरा विश्व कोरोना के खिलाफ प्रभावी एंटीवायरल दवाओं की कमी से जूझ रहा है रेमडेसिविर पर हुए इस अध्ययन ने उम्मीद की किरण जगाई है।
लंदन, एजेंसियां। कोरोना के खिलाफ प्रभावी दवा की खोज और वैक्सीन के विकास के क्रम में एक अहम जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) के इलाज में रेमडेसिविर दवा को काफी प्रभावी पाया है। मालूम हो कि SARS-CoV-2 विषाणु के कारण ही कोविड-19 फैलता है। ऐसे समय जब पूरा विश्व कोरोना के खिलाफ प्रभावी एंटीवायरल दवाओं की कमी से जूझ रहा है रेमडेसिविर पर हुए इस अध्ययन ने उम्मीद की किरण जगाई है।
हेपेटाइटिस सी के इलाज में है कारगर
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, जर्नल नेचर कम्युनिकेशन (journal Nature Communications) में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि रेमडेसिविर को कोरोना मरीज को देने पर उनकी सेहत में बदलाव देखे गए और संक्रमण के लक्षण कम हो गए। हालांकि इस दौरान मरीज में इम्यून सिस्टम से जुड़ी कुछ मामूली समस्याएं भी देखी गईं। मूल रूप से इस दवा का विकास हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए किया गया था। बाद में इबोला के खिलाफ भी इसका परीक्षण किया गया था।
रोगी के लक्षणों में दिखे सुधार
मालूम हो कि इस साल अक्टूबर में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि यह दवा मृत्युदर को नहीं घटा सकती। नया अध्ययन एकल रोगी पर आधारित है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने मरीज को गहन निगरानी रखा और इस दवा के प्रभावों का पता लगाने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोणों का उपयोग किया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि रेमडेसिविर दवा से रोगी के लक्षणों में काफी सुधार हुआ।
अलग-अलग अध्ययन
ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के जेम्स थावेनतिरन ने कहा, 'रेमडेसिविर के प्रभाव का समर्थन करने या उस पर सवाल उठाने के लिए अलग-अलग अध्ययन हैं लेकिन संक्रमण के पहले चरण के दौरान किए गए कुछ परीक्षण इसके वायरल विरोधी गुणों का आकलन करने में उपयुक्त नही हैं।' वैसे इस दवा पर और अध्ययन की जरूरत है।
ऐसे किया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने 'एक्सएलए' से पीडि़त 31 वर्षीय एक व्यक्ति पर इस दवा का परीक्षण किया। 'एक्सएलए' एक आनुवांशिक स्थिति है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है और इसलिए संक्रमण से लड़ने में परेशानी होती है। शुरुआत में रोगी को बुखार, कफ, चक्कर आने के साथ-साथ उल्टियां हुईं और 19वें दिन वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। शुरुआत में उसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एंजीथ्रोमाइसिन जैसी दवाए दी गई, लेकिन दस 10 बाद भी स्थिति में सुधार न आने पर रेमडेसिविर का इस्तेमाल किया गया।
कोरोना के इलाज में हो सकती है प्रभावी
शोधकर्ताओं ने देखा कि 36 घंटों बाद ही उस मरीज की स्थिति में नाटकीय रूप से बदलाव देखने को मिला। रोगी की न सिर्फ सांस लेने में हो रही परेशानी दूर हुई बल्कि कफ और बुखार के साथ-साथ ऑक्सीजन का स्तर भी सामान्य हो गया। इसी आधार पर शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि रेमडेसिविर कोरोना के इलाज में प्रभावी हो सकती है। हालांकि कई विशेषज्ञों ने इसका इस्तेमाल से पहले बड़े स्तर पर परीक्षण की जरूरत बताई है।