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पेरू में 140 से अधिक बच्चों के अवशेष पाए गए, मानव इतिहास में सबसे बड़े बाल नरसंहार का दावा

इन अवशेषों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि बच्चों के दिल को निकालने के लिए उनके पसलियों और पेट की अन्य हड्डियों को काटा गया था।

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 27 Apr 2018 12:34 PM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2018 12:54 PM (IST)
पेरू में 140 से अधिक बच्चों के अवशेष पाए गए, मानव इतिहास में सबसे बड़े बाल नरसंहार का दावा
पेरू में 140 से अधिक बच्चों के अवशेष पाए गए, मानव इतिहास में सबसे बड़े बाल नरसंहार का दावा

पेरू (एजेंसी)। पेरू के ट्रुजिलो के पास पुरातत्वेत्ताओं ने सदियों पुराने हुए एक सनसनीखेज घटना का पता लगाया है। दरअसल इस स्थल पर पुरातत्वेत्ताओं ने 140 से अधिक बच्चों के अवशेषों का पता लगाया है इन अवशेषों में 200 छोटे लामाओं के भी अवशेष हैं। 2011 में इसी स्थान पर 42 बच्चों और 70 लामा के अवशेषों का पता लगाया था। पेरु के पुरातत्वेत्ताओं ने दुनिया के इतिहास में इसे सबसे बड़ा चाइल्ड नरसंहार कहा है।

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पुरातत्वेत्ताओं ने इस जगह की खुदाई करके इस निष्कर्ष पर पहुंचे। उनका कहना है कि पेरू के उत्तरी तटीय क्षेत्र में 550 साल पहले किसी धाार्मिक अनुष्ठान के तहत इतने बच्चों की एक साथ बलि दी गई थी। नेशनल जियोग्राफिक ने इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी है। भौतिक मानवविज्ञानी जॉन वरानो कहते हैं कि मैंने इस चीज की उम्मीद कभी नहीं की थी। उन्हें इस क्षेत्र में इस तरह की चीजों का कई दशकों का अनुभव प्राप्त है। 

पेरू के इस पुरातात्विक स्थल जिसे औपचारिक तौर पर 'हुआनचाकिटो-लास लामास' के नाम से जाना जाता है। ये जगह यूनेस्को की वर्ल्ड हेरीटेज साइट चान चान से आधे मील की दूरी पर स्थित है। ये स्थल पहली बार 2011 में उत्खननकर्मियों के द्वारा आकर्षण के केंद्र में लाया गया था। उस दौरान स्थानीय लोगों ने मानव के अवशेषों को वहां पर पाया था। उस दौरान केवल 42 बच्चों और 76 लामा के अवशेष वहां पाए गए थे। लेकिन 2016 में उसी स्थान से 140 बच्चों और 200 लामा के अवशेष पाए गए थे। रेडियोकार्बन तकनीक से पता लगाया गया कि ये सभी 1400 और 1450 ईस्वी सन के बीच की घटनाएं हैं।

इन अवशेषों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि बच्चों के दिल को निकालने के लिए उनके पसलियों और पेट की अन्य हड्डियों को काटा गया था। इन बच्चों में 5 से 14 साल के बच्चे और बच्चियां दोनों हैं। इस स्थल पर मिट्टियों के लेयर के आधार पर कहा जा सकता है कि बच्चों का ये सामूहिक बलिदान एक ही समय में किया गया था। इस स्थल की जांच अब भी नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी के समर्थन और फंड से जारी है।


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