सड़क पर पड़े रेड शूज को देखकर यहां सेल होने के भ्रम में न रहें आप, इनकी वजह है कुछ और
जेंडर बेस्ड वॉयलेंस के खिलाफ मेक्सिको में महिलाएं सड़कों पर उतरी हुई हैं। यहां पर लेडीज रेड शूज को लेकर हो रहा ये विरोध पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन रहा है।
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। दुनियाभर में महिलाओं के साथ होने वाला दुर्व्यवहार किसी से छिपा नहीं है। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाले आंकड़े पेश करती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर की करीब 35 फीसद महिलाएं अपने जीवन में हिंसा की शिकार होती हैं। इनमें शारीरिक और यौन हिंसा भी शामिल है। इतना ही नहीं कुछ देशों की अपनी रिपोर्ट के मुताबिक इसका आंकड़ा कहीं कहीं पर 70 फीसद तक है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में 87 हजार महिलाओं की हत्या की गई। इनमें से आधी हत्याएं महिलाओं के करीबी लोगों ने की थीं। इसका अर्थ है कि हर रोज करीब 137 महिलाएं अपने परिजनों या चिर-परिचित लोगों द्वारा मारी जाती हैं।
बने हैं कानून
हर वर्ष करीब डेढ़ करोड़ महिलाएं जबरन यौन हिंसा की शिकार होती हैं। इससे बचाव के लिए दुनिया के 144 देशों ने जहां घरेलू हिंसा को लेकर अपने यहां पर कानून बनाया है वहीं 154 देशों में यौन हिंसा को लेकर भी कानून बनाया गया है। इसके बावजूद इस तरह की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।इसका जीता जागता सुबूत दुनियाभर में इसको लेकर किए जा रहे प्रदर्शन हैं। जेंडर बेस्ड वॉयलेंस को लेकर फेमिनिस्ट द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों में 'रेपिस्ट इज यू' का एक गाना इनकी पहचान बन चुका है।
रेड शूज बने विरोध का जरिया
अब यही गीत दुनिया के कई देशों और शहरों से होते हुए मेक्सिको पहुंच गया है। जेंडर बेस्ड वॉयलेंस के खिलाफ यहां पर विरोध का एक और नायाब तरीका तलाश किया है। यहां पर रेड शूज के साथ यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इसकी वजह मेक्सिको में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध हैं। यहां पर हर रोज रोज दस महिलाओं की हत्या होती है। इनमें से पुलिस केवल दस फीसद मामले ही सुलझा पाती है। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के मामले में मेक्सिको के आंकड़े कम चौंकाने वाले नहीं हैं। वर्ष 2018 में यहां पर 3663 महिलाओं की हत्याएं सिर्फ जेंडर बेस्ड वॉयलेंस के लिए ही की गईं।
ड्रम के साथ नारेबाजी
इन हत्याओं के खिलाफ मेक्सिको की सड़कों पर लगातार प्रदर्शन चल रहा है। यह महिलाएं ड्रम के साथ Not one more killed! (अब और नहीं होगी हत्या) का नारा लगा रही थीं। इस प्रदर्शन में इस्तेमाल किए जा रहे रेड शूज की चर्चा अब हर जगह हो रही है। प्रदर्शन में शामिल होने वाली महिलाओं का कहना है कि रेड शूज ब्लड का प्रतीक है, इसके अलावा ये प्यार की भी निशानी है। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक जोकालो स्क्वायर पर हुए एक प्रदर्शन में शामिल एलीना शॉवेट इस मुद्दे पर 2009 में भी प्रदर्शन में शामिल हो चुकी हैं। उनकी बहन भी जेंडर बेस्ड वॉयलेंस की शिकार हुई थी। इसमें हत्या उसका ही पति था। उस वाकये को याद कर एलीना आज भी भावुक हो जाती है। इस तरह का प्रदर्शन मेक्सिको में पहली बार नहीं हो रहा है।
देश दुनिया को जागरुक करना है मकसद
प्रदर्शनों में शामिल होने वाली महिलाओं का कहना है कि देश में इस तरह के मामले कम होने की बजाए लगातार बढ़ रहे हैं। इन प्रदर्शनों के पीछे महिलाओं का मकसद देश और दुनिया को इसके प्रति जागरुक करना है।आपको बता दें कि मेक्सिको दुनिया के उन देशों में शामिल है जिसको महिलाओं के लिए खतरनाक माना गया है। मेक्सिको की मेयर क्लोडिया शेनबॉन पार्डो भी जेंडर बेस्ड वॉयलेंस को देश के लिए किसी अलर्ट की ही तरह मान रही हैं। वहीं देश के कई हिस्सों में हो रहे प्रदशनों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने भी इस तरह के मामले रोकने को अपनी प्राथमिकता में शामिल करने की बात कही है।
अपराधी और पुलिस की मिलीभगत
प्रदर्शन में शामिल 39 वर्षीय एलीजाबेथ मचूका केंपोस की भी बहन 2017 में इसी तरह के वॉयलेंस का शिकार बनी थी। उनके मुताबिक अपराधी को पकड़ लिया गया था लेकिन आखिरी वक्त पर पुलिस ने इसको आत्महत्या बता दिया। उनके मुताबिक यह सब कुछ अपराधी और पुलिस के बीच मिलीभगत को भी दर्शाने के लिए काफी है। इस तरह का ये केवल अकेला मामला नहीं था। मेक्सिको में हुए प्रदर्शन में केंपोस अपनी बहन का फोटो और उसके द्वारा पहने आखिरी रेड शूज को लेकर शामिल हुई थी। उनका इसमें शामिल होने का मकसद सरकार को जगाना और ये अपील करना था कि ऐसा आगे न हो।
बेकाबू हो सकते हैं हालात
मेक्सिको में महिलाओं के साथ बढ़ती हिंसा और हत्या के मामलों को लेकर महज एलीजाबेथ और क्लोडिया के अलावा राजधानी की चीफ प्रोसिक्यूटर नेस्तिना गोडॉए रामोस को भी चिंता है। उनका मानना है कि महिलाओं की सुरक्षा वर्तमान में सबसे बड़ा मुद्दा है जिस पर यदि ध्यान नहीं दिया गया तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि महिलाओं को न्याय जरूर मिलेगा। प्रदर्शन में शामिल मोसो भी हालात को काफी खराब मानते हैं। उनका कहना है कि इस तरह के मामलों में न्याय बड़ी मुश्किल से मिलता है और वो भी अधूरा होता है। मोसो वॉयस ऑफ एबसेंस ग्रुप चलाते हैं। उनका कहना है कि सरकार आती हैं और चली जाती हैं लेकिन मामले ज्यों के त्यों बढ़ते चले जाते हैं।
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