म्यांमार में पुलिस की गोली की परवाह किए बिना फिर सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें सैन्य शासन स्वीकार्य नहीं है। माउंग साउंग्खा नामक प्रदर्शनकारी ने कहा हम जानते हैं कि हमें गोली मारी जा सकती है और जान भी जा सकती है लेकिन सैन्य शासन में रहने का कोई मतलब नहीं है।
यंगून, एजेंसियां। म्यांमार में लोकतंत्र की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी पुलिस की गोली की परवाह किए बगैर गुरुवार को फिर सड़कों पर उतरे। इनको खदेड़ने के लिए पुलिस ने फिर आंसू गैस के गोले दागे और गोलियां चलाई। हालांकि इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इस दक्षिण पूर्व एशियाई देश में एक दिन पहले यानी बुधवार को कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाई गई थीं। इसमें 38 लोगों की जान गई थी। म्यांमार में गत एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों में यह अब तक की सबसे बड़ी हिंसा है।
पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे
म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में गुरुवार को कई जगहों पर बड़ी संख्या में लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए जमा हुए। इस दौरान लोगों ने जमकर नारेबाजी की। चश्मदीदों ने बताया कि पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए गोलियां चलाई और आंसू गैस के गोले दागे। देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले और प्राचीन शहर बगान में भी बड़ी संख्या में लोगों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी आंग सान की तस्वीरों के साथ बैनर और पोस्टर भी ले रखे थे। इन पर 'हमारी नेता को स्वतंत्र करो' जैसे नारे लिखे थे।
सैन्य शासन में रहने का कोई मतलब नहीं
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें सैन्य शासन स्वीकार्य नहीं है। अपदस्थ निर्वाचित सरकार को बहाल करने के साथ ही देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की को रिहा किया जाए। माउंग साउंग्खा नामक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम जानते हैं कि हमें गोली मारी जा सकती है और जान भी जा सकती है, लेकिन सैन्य शासन में रहने का कोई मतलब नहीं है।' इधर, सत्ता से अपदस्थ की गई आंग सान की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने एक बयान में कहा कि पुलिस की गोली से मारे गए लोगों की याद में उसके सभी दफ्तरों में झंडे को आधा झुकाकर रखा जाए। म्यांमार में पुलिस की कार्रवाई में अब तक कुल करीब 60 लोगों की जान गई है।
लड़ाकू विमानों ने डराने की कोशिश
मांडले में गुरुवार सुबह के समय सेना के पांच लड़ाकू विमानों ने कम ऊंचाई पर उड़ान भरी। यह माना जा रहा है कि सैन्य शासन ने अपनी ताकत दिखाने और प्रदर्शनकारियों को डराने के इरादे से यह प्रयास किया।