रूस बोला, नवलनी के होश में आने तक कोई दुष्प्रचार ठीक नहीं, ब्रिटिश पीएम ने पारदर्शी जांच की मांग की
रूस ने उस चर्चा को खारिज कर दिया है कि विपक्षी नेता एलेक्सेई नवलनी को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इशारे पर जहर दिया गया। वहीं ब्रिटेन ने भी मामले की जांच की मांग की है।
मॉस्को, एजेंसियां। रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने उस चर्चा को खारिज कर दिया है कि विपक्षी नेता एलेक्सेई नवलनी (44) को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इशारे पर जहर दिया गया। रूसी सरकार ने कहा कि विपक्षी नेता का अभी इलाज चल रहा है और वह होश में नहीं आए हैं, ऐसे में किसी तरह का दुष्प्रचार ठीक नहीं है। पुतिन पर यह आरोप नवलनी के एंटी करप्शन फाउंडेशन (एफबीके) के प्रमुख इवान जदानोव ने लगाया है। वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मामले की पारदर्शी जांच की मांग की है।
नवलनी साइबेरिया से मॉस्को आते समय विमान में अचानक अचेत हो गए थे। इससे पहले उन्होंने चाय पी थी। रूस के अस्पताल में नवलनी की हालत न सुधरने पर उन्हें एयर एंबुलेंस से जर्मनी ले जाया गया, जहां बर्लिन के अस्पताल में वह अभी भी कॉमा में हैं। नवलनी का इलाज कर रहे जर्मन डॉक्टरों ने संकेत दिया है कि रूसी नेता को कोलीनेस्ट्रस समूह का जहर दिया गया है। यह अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे लक्षण पैदा करता है। कुछ ऐसा ही केमिकल 2018 में ब्रिटेन में भगोड़े रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल पर हमले में प्रयुक्त हुआ था।
हालांकि तब स्क्रिपल के सतर्क होने और समय पर इलाज मिल जाने से उनकी जान बच गई थी। नवलनी बीते करीब दस साल से पुतिन और उनकी पार्टी का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने मॉस्को और रूस के अन्य इलाकों में बड़े विरोध प्रदर्शन आयोजित कराए थे। पुतिन को 2036 तक सत्ता में रहने का मौका मिलने पर वह खासे असंतुष्ट थे और वह विरोध का अभियान छेड़े हुए थे। पुतिन एफबीके (एंटी करप्शन फाउंडेशन) से बहुत ज्यादा नफरत करते हैं क्योंकि वह उनके कारनामों का पर्दाफाश करती रहती है।
यह भी कहा जा रहा है कि यदि नवलनी की मौत हो जाती है तो पुतिन को उसका फायदा नहीं मिलेगा। लोग अब जाग गए हैं और पुतिन की कारगुजारियां समझने लगे हैं। उधर, रूस ने नवलनी के गंभीर रूप से बीमार होने की परिस्थितियों की जांच कराने से इन्कार कर दिया है। सरकार का कहना है कि जर्मन क्लीनिक द्वारा जहर की बात स्वीकार नहीं है। यूरोपीय संघ के राजनयिक जोसफ बोरेल ने सोमवार को रूस से जांच कराने की मांग की थी। उधर अमेरिका ने कहा कि यदि जर्मन क्लीनिक की रिपोर्ट सही साबित हुई तो वह यूरोपीय संघ के नेतृत्व में जांच का समर्थन करेगा।