कोरोना वायरस के इलाज में कैंसर की दवा के ट्रायल की तैयारी
ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ता कोरोना के इलाज के लिए कैंसर की दवा का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने जा रहे हैं। इस दवा के माध्यम से वायरस को नाक और गले में जाने से पहले रोक सकेंगे।
नई दिल्ली, एजेंसी। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ता कोरोना के इलाज के लिए कैंसर की दवा का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने जा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह इस दवा के माध्यम से वायरस को नाक और गले में जाने से पहले रोक सकेंगे।
ब्रोमैक नामक यह दवा एक प्रकार का नेजल स्प्रे है और माना जाता है कि यह वायरस को फेफड़ों सहित शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने से रोक सकता है। दवा तैयार करने वाले प्रोफेसर डेविड मॉरिस के मुताबिक ब्रोमैक कोरोना की सतह पर ही स्पाइक प्रोटीन को तोड़ने में सक्षम है। साथ ही यह स्पाइक प्रोटीन को कोशिकाओं से जुड़ने से रोकती है।
स्पाइक प्रोटीन मानव कोशिकाओं में प्रवेश से पहले एसीई-2 रिसेप्टर नामक एंजाइम से खुद को जोड़ते हैं और अपनी संख्या कई गुना बढ़ा लेते हैं। अब अगर स्पाइक प्रोटीन ही नहीं होंगे तो संक्रमण भी नहीं फैलेगा। प्रोफेसर मॉरिस ने बताया कि ब्रोमैक का मानव परीक्षण मेलबर्न शहर में दो से तीन सप्ताह में शुरू किया जाएगा। मेलबर्न संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित विक्टोरिया प्रांत की राजधानी है।
इस दवा का प्रयोग कोरोना रोगियों पर किया जाएगा और उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में शरीर से वायरस पूरी तरह खत्म हो जाएगा। मॉरिस ने कहा कि इस दवा के प्रयोग से वायरस को दूसरे लोगों में फैलने से रोका जा सकता है, क्योंकि वायरस को अगर स्पाइक प्रोटीन से हटाया जाता है तो यह किसी और को संक्रमित करने में सक्षम नहीं होता है। मॉरिस इस दवा का परीक्षण फ्रंटलाइन पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर भी करना चाहते हैं।
दवा तैयार करने वाली टीम के अनुसार ब्रोमैक पूरी तरह सुरक्षित है और कोरोना के लिए सिफारिश की गई डोज की तुलना में कैंसर रोगियों पर इसका 100 गुना अधिक उपयोग किया गया है। दवा का कोई बुरा प्रभाव नहीं है, यह साबित करने के लिए मॉरिस ने स्वयं भी इसका प्रयोग किया है।