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थाइलैंड में सेना समर्थित सरकार के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे, 2014 के बाद बड़ा प्रदर्शन

थाइलैंड में रविवार को करीब दस हजार लोगों ने सड़क पर आकर तानाशाही के खिलाफ तेज कदमों से मार्च किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 09:40 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 09:40 PM (IST)
थाइलैंड में सेना समर्थित सरकार के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे, 2014 के बाद बड़ा प्रदर्शन
थाइलैंड में सेना समर्थित सरकार के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे, 2014 के बाद बड़ा प्रदर्शन

बैंकॉक, एएफपी। थाइलैंड में रविवार को करीब दस हजार लोगों ने सड़क पर आकर तानाशाही के खिलाफ तेज कदमों से मार्च किया। उन्होंने इस मार्च का नाम 'रन अंगेस्ट डिक्टेटरशिप' दिया। तेज आवाज में नारे लगाते हुए ये लोग तीन अंगुलियों वाला सैल्यूट करते हुए सड़कों से निकले। इस तरह का सैल्यूट हंगर गेम्स फिल्म में व्यवस्था विरोधी करते दिखाए गए हैं। 2014 के सैन्य तख्तापलट के बाद थाइलैंड में यह सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था।

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थाइलैंड में बदलाव की दिशा में यह पहला कदम

प्रदर्शनकारी पहले बैंकॉक पार्क में एकत्रित हुए और उसके बाद वे सड़क पर आए। प्रदर्शन का नेतृत्व अरबपति राजनेता थानाथॉर्न जुआंगरूग्रंकित कर रहे थे। उनकी पार्टी को सेना विरोधी राजनीतिक दल माना जाता है। उनकी पार्टी भंग किए जाने की धमकी का सामना कर रही है।

यह प्रदर्शन पूर्व जुंटा प्रमुख प्रयूत चान-ओ-चान की सरकार के खिलाफ था। थानाथॉर्न पर कई तरह के आरोप लगाकर उनका सांसद का ओहदा छीना जा चुका है। प्रदर्शन शुरू होने से ठीक पहले उन्होंने प्रदर्शनकारियों की ओर इशारा करते हुए मीडिया से कहा, आप सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा देख सकते हैं। थाइलैंड में बदलाव की दिशा में यह पहला कदम है। मार्च शुरू होने से पहले प्रदर्शनकारियों ने जोर का नारा लगाया- प्रयूत, बाहर जाओ। उन्होंने लोकतंत्र के समर्थन में भी कई नारे लगाए।

जनता की सुविधाओं की ओर ध्यान दे सरकार

प्रदर्शन में टैंक की तस्वीर वाली कमीज पहने शख्स ने कहा, हम चाहते हैं कि सरकार जनता की सुविधाओं की ओर ध्यान दे। उसके लिए धन खर्च करे। पर्यावरण में सुधार के लिए कार्य करे। न कि टैंक और पनडुब्बियां खरीदने में धन खर्च करे। प्रदर्शन में शामिल 68 वर्ष के वासुचार्ट ने कहा, हम अपने देश से प्यार करते हैं। हम उस सरकार को प्यार करते हैं जो हमारे देश को हर तरह से सुरक्षित रखे। सेना की नियुक्त संसद के समर्थन में प्रयूत ने 2018 में देश की सत्ता संभाली थी। संसद में उनके पास मामूली बहुमत है। कमजोर होती अर्थव्यवस्था के दौर में सरकार का जन विरोध बढ़ रहा है। इससे प्रयूत सरकार की हालत और पतली हो रही है।


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