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म्यांमार में फिर सैन्य शासन के खिलाफ खड़े हो रहे लोग, 'देशव्यापी विद्रोह' का एलान

लशी ला ने सेना द्वारा नियुक्त नौकरशाहों से सरकार से इस्तीफा देने का भी आग्रह किया और सीमा प्रहरियों और सैनिकों से लोगों के साथ जुड़ने और लोगों के दुश्मनों पर वार करने का आह्वान किया। सिविल सेवकों से कार्यालय न जाने के लिए कहा गया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 11:48 AM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 01:40 PM (IST)
म्यांमार में फिर सैन्य शासन के खिलाफ खड़े हो रहे लोग, 'देशव्यापी विद्रोह' का एलान
म्यांमार में फिर सैन्य शासन के खिलाफ खड़े हो रहे लोग, 'जन संघर्ष' की हुई घोषणा

बैंकाक, एपी। म्यांमार में तख्ता पलट के बाद सैन्य सरकार के खिलाफ संघर्ष करने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय एकता सरकार (एनयूजी) ने अब देशव्यापी विद्रोह करने का एलान किया है। एनयूजी के इस निर्णय के बाद म्यांमार में फिर हालात बिगड़ने की आशंका हो गई है। सैन्य विद्रोह में अपदस्थ विधायकों के द्वारा गठित एनयूजी के कार्यवाहक राष्ट्रपति दुवा लाशी ला ने फेसबुक पर डाले गए वीडियो पोस्ट में म्यांमार की जनता से अपील की है कि वे एक साथ हर गांव, कस्बे और शहर में सैन्य शासन के खिलाफ लड़ाई छेड़ दें।

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उन्होंने एक तरह से देश में आपातकाल जैसे हालात पैदा करने के लिए कहा है। दुवा लाशी ने जातीय मिलीशिया से कहा है कि वह सरकारी बलों पर हमले तेज कर दें। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों, सैनिकों और पुलिस कर्मियों से जनता का साथ देने की अपील की है। सैन्य परिषद के सभी सदस्यों को भी कार्यालय न जाने के लिए कहा गया है।

समानांतर राष्ट्रीय एकता सरकार के कार्यवाहक प्रधानमंत्री महन विन्न थान ने एक अलग बयान में कहा है कि यह कदम बदली हुई परिस्थितियों में उठाया जा रहा है। अब सैन्य शासन को जड़ से उखाड़ फेंकने का समय आ गया है। म्यांमार की सेना ने फरवरी में आंग सान सू की सरकार का तख्ता पलट कर सत्ता हासिल कर ली थी। देश तभी से अशांत चल रहा है। यहां मिंग आंग हाइंग के नेतृत्व वाले सैन्य शासन के खिलाफ आंदोलन में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।

एनएचके वर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार की सैन्य सरकार ने पहले राष्ट्रीय एकता सरकार को एक आतंकवादी समूह के रूप में नामित किया था। बता दें कि राष्ट्रीय एकता सरकार की स्थापना निर्वाचित विधायकों द्वारा की गई थी, जिन्हें अपनी सीट लेने से रोक दिया गया था जब सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था और आंग सान सू की सहित नागरिक नेताओं को हिरासत में लिया था।

बता दें कि म्यांमार 1 फरवरी को तख्तापलट के बाद से उथल-पुथल में है, जब वरिष्ठ जनरल मिंग आंग हलिंग के नेतृत्व में म्यांमार की सेना ने नागरिक सरकार को उखाड़ फेंका और एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी। तख्तापलट के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, जिसमें आम लोगों को नुकसान झेलना पड़ा।


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