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आतंकियों के खिलाफ फर्जी कार्रवाई से गुमराह कर रहा है पाकिस्‍तान, फ्रांस की स्वतंत्र एजेंसी ने किया बेनकाब

आतंकवाद और आतंकी फंडिंग के मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के शिंकजे में फंसने के बाद पाकिस्तान फर्जी कार्रवाई की जमीन तैयार कर उससे निकलने के लिए छटपटा रहा है। उसने कागजी कार्रवाई कर यह दिखाने की कोशिश की है कि उसे ग्रे लिस्ट से निकाल देना चाहिए।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 07:00 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 07:00 PM (IST)
आतंकियों के खिलाफ फर्जी कार्रवाई से गुमराह कर रहा है पाकिस्‍तान, फ्रांस की स्वतंत्र एजेंसी ने किया बेनकाब
आतंकवाद और आतंकी फंडिंग के मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ)

पेरिस, एएनआइ। आतंकवाद और आतंकी फंडिंग के मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के शिंकजे में फंसने के बाद पाकिस्तान फर्जी कार्रवाई की जमीन तैयार कर उससे निकलने के लिए छटपटा रहा है। उसने कागजी कार्रवाई करते हुए यह दिखाने की कोशिश की है कि अब उसे ग्रे लिस्ट से निकाल देना चाहिए। उसके भाग्य का फैसला एफएटीएफ के हाथों फरवरी के अंतिम सप्ताह में होने जा रहा है। इस बीच फ्रांस की एक स्वतंत्र एजेंसी सेंटर फॉर पॉलिटिकल एंड फॉरेन अफेयर की एंटी टेररिज्म टास्क फोर्स ने पोल खोलकर रख दी है। 

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एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए कागजी कवायद

रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवाद और आतंकी फंडिंग के मामले में पाक की कागजी कार्रवाई के नतीजे धरातल पर शून्य हैं। पाकिस्तान को 2017 में एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में डाला था। 2018 से उसने ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने और काली सूची में आने से बचने के लिए नाटक करना शुरू कर दिया। इसमें कई नियमों में परिवर्तन की घोषणा की गई, प्रक्रियाओं में बदलाव किया गया। इसके बाद उसने पीड़ि‍त बनने की कोशिश की और भारत पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया। उसने अपने समर्थन में झूठा प्रचार करने की रणनीति बनाई। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाक के ये सभी प्रपंच असफल साबित हुए हैं। अब जब एफएटीएफ की तलवार उसके सिर पर लटकी हुई है। इसके बाद फिर उसने दिखावे के लिए कार्रवाई शुरू की। जुलाई 2019 में उसने जमात उद दावा और उसके संगठन फालेह ए इंसानियत फाउंडेशन और उसके सरगना हाफिज सईद, दूसरे नंबर के सरगना अब्दुल रहमान मक्की, जफर इकबाल आमिर हमजा को आतंकी फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया। अभी कुछ दिन पहले एफएटीएफ की बैठक में जब इस मामले को देखा गया तो पता चला कि उनको प्रतिबंधित संगठन के मसले पर गिरफ्तार किया है। अदालत ने आतंकी फंडिंग के मामले में कोई आरोप नहीं माना है। 

अगस्त माह में तो एक मामले में मक्की और उसके साथी अब्दुल सलाम को लाहौर हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई बम कांड के मास्टर माइंड जाकिर रहमान लखवी को तो 2015 में ही कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया था। बाद में उस पर कार्रवाई का नाटक किया गया। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ अदालत के निर्णय सार्वजनिक किए ही नहीं जाते हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्ल हत्याकांड हो या फिर अन्य ऐसे ही मामले सभी में पाकिस्तान ने दिखावे की कार्रवाई कर ग्रे लिस्ट से बाहर आने की कोशिश की है। हकीकत ये है कि सभी संगठनों के आतंकवादी पाकिस्तान की सरपरस्ती में मौज कर रहे हैं और अपने कारनामों को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को काली सूची में डाले बिना कोई ठोस कार्रवाई संभव होती दिखाई नहीं देती है।


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