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ऑप्टिकल बायोसेंसर पकड़ेगा कोरोना का संक्रमण, सार्वजनिक स्थलों पर किया जा सकेगा इस्तेमाल

Optical Biosensors वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोरोना संक्रमण की पहचान करने की वैकल्पिक विधि हो सकती है। इससे प्रयोगशालाओं में होने वाले परीक्षणों में बदलाव नहीं आएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 09:54 AM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 09:54 AM (IST)
ऑप्टिकल बायोसेंसर पकड़ेगा कोरोना का संक्रमण, सार्वजनिक स्थलों पर किया जा सकेगा इस्तेमाल
ऑप्टिकल बायोसेंसर पकड़ेगा कोरोना का संक्रमण, सार्वजनिक स्थलों पर किया जा सकेगा इस्तेमाल

जिनेवा, प्रेट्र। Optical Biosensors: स्विटजरलैंड के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ऑप्टिकल बायोसेंसर तैयार किया है जो जल्दी और विश्वसनीय तरीके से नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण की पहचान कर सकता है। इसी वायरस के संक्रमण से कोविड-19 नाम की महामारी चीन के वुहान शहर से पूरे विश्व में फैल चुकी है। स्विटजरलैंड में ईटीएच ज्यूरिख में सेंसर विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोरोना संक्रमण की पहचान करने की वैकल्पिक विधि हो सकती है। इससे प्रयोगशालाओं में होने वाले परीक्षणों में बदलाव नहीं आएगा।

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उनका कहना है कि इस बायोसेंसर से किसी स्थान विशेष में मौजूद व्यक्ति में उसी समय हवा के जरिये संक्रमण की पहचान की जा सकेगी। उदाहरण के तौर पर व्यस्त जगहों जैसे रेलवे स्टेशनों या अस्पतालों आदि में इसका उपयोग सरल होगा।

सोने के महीन कणों से बना है सेंसर : स्विस फेडरल लेबोरेट्रीज फॉर मेटेरियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जिंग वांग और उनके वैज्ञानिक दल का कहना है कि निकट भविष्य में कोरोना संक्रमण का कोई इलाज नजर नहीं आता है। इसलिए नए कोरोना संक्रमण की त्वरित जांच के लिए ऐसे किसी उपकरण या विधि का होना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि यह सेंसर सोने के महीन कणों से बना है। इसे गोल्ड नैनो आइलैंड कहा जाता है।

आणविक विधि से कई गुना है बेहतर : ज्यादातर प्रयोगशालाएं इस संक्रमण की पहचान के लिए एक आणविक विधि का प्रयोग करती हैं, जिसे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन कहा जाता है। इसे आरटी-पीसीआर भी कहते हैं। श्वसन प्रणाली के संक्रमण वाले वायरस की पहचान इस टेस्ट से ही होती है। यह वायरस के छोटे से छोटे कण की भी पहचान कर सकता है। लेकिन इसमें समय बहुत लगता है और गलती की गुंजाइश भी बनी रहती है। लेकिन ऑप्टिकल बायोसेंसर के जरिये त्वरित जांच की जा सकती है।

नई विधि स्विस फेडरल लेबोरेट्रीज फॉर मेटेरियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जिंग वांग और उनकी टीम के प्रयासों की मेहनत है। इसके लिए उन्होंने बायोसेंसर के रूप में एक वैकल्पिक परीक्षण विधि विकसित की है जो वायरस का मजबूती से पता लगाने के लिए दो अलग-अलग प्रभावों (ऑप्टिकल और थर्मल) को जोड़ती है।


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