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तिल‍-तिल कर जलता ऑस्ट्रेलिया, एक अरब जानवरों का अस्तित्‍व संकट में, जानें-क्‍या है पूरा मामला

एक सप्‍ताह से सीडनी तिल-तिल कर जल रहा है। देश-दुनिया ने आग से होने वाली क्षति पर तो चिंता व्‍यक्‍त की लेकिन एक बड़े नुकसान की ओर किसी का ध्‍यान नहीं गया।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 08:59 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 11:57 PM (IST)
तिल‍-तिल कर जलता ऑस्ट्रेलिया, एक अरब जानवरों का अस्तित्‍व संकट में, जानें-क्‍या है पूरा मामला
तिल‍-तिल कर जलता ऑस्ट्रेलिया, एक अरब जानवरों का अस्तित्‍व संकट में, जानें-क्‍या है पूरा मामला

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल । न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स से... ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग ने इस ओर किसी का ध्‍यान नहीं आकृष्‍ट किया। एक सप्‍ताह से सीडनी तिल-तिल कर जल रहा है। देश-दुनिया ने आग से होने वाली क्षति पर तो चिंता व्‍यक्‍त की, लेकिन एक बड़े नुकसान की ओर किसी का ध्‍यान नहीं गया।ऑस्‍ट्रेलिया के कुछ  इलाकों में आग बूझने के बाद दूसरे संकट सामने आ रहे हैं। इन समस्‍याओं में जल की कमी और हवा का प्रदूषित होना शामिल है। इसके अलावा जैव विविधता के विशेषज्ञों ने इस ओर ध्‍यान आकृष्‍ट किया।  विशेषज्ञों ने आग से नुकसान की जो तस्‍वीर पेश वह चौंकाने वाली ही नहीं बल्कि बहुत भयावह है। आइए जानते हैं कि आखिर वह कौन सी चीज है जिस पर किसी का ध्‍यान नहीं गया। क्‍या सच में यह बड़ा नुकसान है ? 

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600,000 से 700,000 ऐसी प्रजातियां समूल नष्‍ट 

दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के जिन जंगलों में आग लगी है, वह जैव विविधता के लिहाज से बेहद उपयोगी इलाका है। यहां लाख या करोड़ नहीं बल्कि अरबों प्रजाति के जीव-जंतु पाए जाते हैं। किसी ने भी अपने आंकलन में इस ओर ध्‍यान नहीं दिया। जाहिर है इस आग की लपटों ने इन प्रजातियों का समूल नाश कर दिया। जैव विविधता के विशेषज्ञों ने कहा है कि यह कई प्रजातियों के लिए खतरे की घंटी है। ये आग कितनी भयावह है, इसका अंदाज़ा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि इस आग से अब तक एक लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलकर राख हो चुका है।  

उनका कहना है कि 600,000 से 700,000 ऐसी प्रजातियां है जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं पाई जाती। कई प्रजातियां केवल इसी जंगल में पाई जाती हैं। ऐसे में इन प्रजातियों का समूल नाश हो गया। यानी यह प्रजाति नष्‍ट हो गई या नष्‍ट होने के कगार पर हैं। भीषण आग के कारण वह आज खतरे में है। पानी की कमी का असर इंसान और जानवरों के बीच संघर्ष के रूप में सामने आ रहा है।

250,000 कीट की प्रजातियों पर बड़ा संकट

इस बड़े जंगली इलाके में करीब 250,000 कीट की प्रजातियों पर बड़ा संकट उत्‍पन्‍न हो गया है। खास बात यह है कि यह कीटों की यह प्रजाति केवल इसी जंगल में पाए जाते थे। कई दिनों तक लगी आग से इसमें कई प्रजाति या तो खत्‍म हो गई हैं या खत्‍म होने के कगार पर हैं। आग से इन प्रजातियां के खत्‍म होने का खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। लेकिन इन प्रजातियों पर किसी का ध्‍यान नहीं गया। कीटों की यह प्रजाति जंगलों की जैव विविधता के लिए बेहद उपयोगी है।

5 लाख एकड़ के क्षेत्र में फैली आग 

फॉक्स न्यूज के मुताबिक दक्षिणी पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में दो जंगली क्षेत्र में आग शुरू हुई थी, जो देखते ही देखते 15 लाख एकड़ के क्षेत्र में फैल गई है। इससे अब तक तीन हजार से ज्यादा घर ध्वस्त हो गए हैं और 26 लोगों की जान गई है। एक अरब से ज्यादा जानवर मर गए हैं या उनकी जान खतरे में है। सिडनी यूनिवर्सिटी के ताजा आकलन में यह जानकारी सामने आई है। यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी बयान में प्रोफेसर क्रिस डिकमैन ने कहा है कि आग से जो नुकसान हुआ है, उसकी तुलना करना संभव नहीं है। इस अग्निकांड से जानवरों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है।  

जल के प्राकृतिक स्रोतों अौर जंगलों के जलने से खड़ा हुआ बड़ा सकंट

इसका एक असर और भी पड़ा है। कई दिनों तक लगी इस आग के कारण पानी के कई प्राकृतिक स्रोत खूख गए हैं। आग के कारण कई हरे भरे जंगल खत्‍म हो गए हैं। इससे जीव जंतुओं के समक्ष उनके भोजन एवं प्‍यास बुझाने की समस्‍या खड़ी हो गई है। एेसे में सबसे बड़ा संकट ऊंटों के समक्ष खड़ा हो गया है। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में हज़ारों ऊंटों का क़त्ल किया जा रहा है। भीषण गर्मी और सूखे की वजह से ये क़दम उठाया जा रहा है। इस इलाक़े में रहने वाले लोगों का कहना है कि ये ऊंट कस्बों और इमारतों को नुक़सान पहुंचा रहे हैं। ऊंट पानी की तलाश में गलियों में घूम रहे हैं, जिससे छोटे बच्चों और दूसरे लोगों के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है। इसके साथ ही घोड़ों को मारे जाने की भी आशंका जताई जा रही है।

इस क्रम में 10,000 जंगली ऊंटों को पालने की योजना बनाई है। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के सुदूर उत्तर पश्चिम में रहने वाले आदिवासी समुदाय, जिन्हें एपीवाई भी कहा जाता है बड़ा सकंट उत्‍पन्‍न हो गया है। इन आदिवासियों के लिए ऊंट (और कुछ जंगली घोड़े) इनकी व्‍यवस्‍था की बुनियाद हैं। अब इन जंगली घोड़ों पर सकंट खड़ा हाे गया है। यहां ऊंटों की संख्‍या दस लाख से अधिक है।  

ऑस्ट्रेलिया का तापमान 1910 के बाद से एक डिग्री सेल्सियस बढ़ा 

वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है गर्म और शुष्क मौसम के कारण लगने वाली आग के मामले और ज़्यादा बढ़ेंग। ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में कुछ सालों से सूखे के हालात हैं, जिससे आग पकड़ना और फैलना आसान हो जाता है।  आंकड़े बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया का तापमान 1910 के बाद से एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। ब्यूरो ऑफ मेटिअरोलजी के मुताबिक़ 1950 के बाद से तापमान ज़्यादा गर्म होना शुरू हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ऑस्ट्रेलिया में गर्म तापमान और आग का ख़तरा आग भी बना रहेगा.


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