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अब नए तरीके से हो सकेगा पैंक्रियाटिक कैंसर का उपचार

पैंक्रियाटिक कैंसर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि आरंभ में इस कैंसर को लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल होता है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 09:50 AM (IST)
अब नए तरीके से हो सकेगा पैंक्रियाटिक कैंसर का उपचार
अब नए तरीके से हो सकेगा पैंक्रियाटिक कैंसर का उपचार

यरुशलम, आइएएनएस। पैंक्रियाटिक कैंसर यानी अग्नाशय में होने वाला कैंसर सभी मौजूदा उपचारों को लेकर प्रतिरोधी होता जा रहा है। ऐसे में इस बीमारी से पीड़ित रोगियों के बचने की उम्मीद कम होती जा रही है। लेकिन एक नए अध्ययन से इस बीमारी के उपचार की नई उम्मीद जगी है। अध्ययन में एक मॉलीक्यूल में ऐसी क्षमता पाई गई है, जिससे पैंक्रियाटिक कैंसर सेल्स को खुद ही खत्म होने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

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आंकोटारगेट नामक जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार, यह निष्कर्ष चूहे पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इस चूहे में ह्यूमन पैंक्रियाटिक कैंसर प्रत्यारोपित किया गया था। इस दौरान शोधकताओं ने पाया कि इस इलाज से लगभग 90 फीसद कैंसर कोशिकाएं खत्म हो गईं। इजरायल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता मलका कोहेन-अरमन ने कहा, ‘हमने एक ऐसे तंत्र का पता लगाया है, जो कैंसर सेल्स को खुद ही खत्म होने का कारण बनता है।’

पैंक्रियाटिक कैंसर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्योंकि आरंभ में इस कैंसर को लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल होता है और बाद के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग दिखाई देते हैं, जिसके आधार पर यह पहचान करना मुश्किल होता है कि यह कैंसर है या कोई अन्य बीमारी। सामान्यत: इस कैंसर के लक्षणों में एब्डोमेन के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है, भूख कम लगती है, तेजी से वजन कम होने की दिक्कतों के साथ पीलिया, नाक में खून आना, उल्टी होना जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा नए तरीके से इस कैंसर के उपचार की उम्मीद जगी है।


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