इमरान की नई मुसीबत, पाक के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी
Protest in Gilgit Baltistan जम्मू कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने से पहले ही परेशान PM इमरान की गिलगित-बाल्टिस्तान में प्रदर्शनकारियों ने मुसीबत और बढ़ा दी है।
गिलगित-बाल्टिस्तान, एएनआइ। Protest in Gilgit Baltistan जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखला उठा है। एक तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर अपनी संसद में फजीहत झेल रहे हैं तो दूसरी ओर भारत, कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रहा है।इस बीच पाकिस्तान के लिए एक नई मुसीबत पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में शुरू हो गई है। गिलगित-बाल्टिस्तान में लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गिलगित-बाल्टिस्तान में लोगों ने जमीन, संपत्ति, और संसाधनों के मुआवजे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। यह जमीनें पहले गिलगित हवाई अड्डे के निर्माण सहित विकास के नाम पर पाकिस्तान सरकार द्वारा अधिग्रहण की गई थीं।
— ANI (@ANI) August 8, 2019
गिलगित-बाल्टिस्तान मांगे PAK से आज़ादी
इससे पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने खुला पत्र लिखकर कहा है कि पाकिस्तान सिर्फ उनकी देखभाल करने वाला है। उनकी रिहायश वाला यह हिस्सा वस्तुत: जम्मू-कश्मीर राज्य का भाग है। पाकिस्तान की हैसियत देखभाल करने वाले से ज्यादा की नहीं है। उसे सीमाएं बदलने का कोई अधिकार नहीं है।
यह खुला पत्र जम्मू-कश्मीर की आजादी की मांग करने वाले संगठनों को संबोधित है। गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने कहा- संयुक्त राष्ट्र के संकल्प और 28 अप्रैल, 1949 को हुए कराची समझौते के अनुसार गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाका जम्मू-कश्मीर का अंग है। इसलिए पाकिस्तान की हैसियत सिर्फ देखभाल करने वाले की है, उसे सीमाएं बदलने का कोई अधिकार नहीं है।
पत्र में साफ किया गया है कि समूचे जम्मू-कश्मीर की स्थिति विवादित है और यह तथ्य नियंत्रण रेखा के दोनों ओर बसे जम्मू-कश्मीर पर लागू होता है।
पत्र में लिखा है- 1947 में जब जम्मू-कश्मीर को तीन हिस्सों में बांटा गया, तब छिड़े युद्ध के संघर्षविराम के बाद तीसरे व उत्तरी इलाके गिलगित लदाख को दो हिस्से में बांट दिया गया। 28,000 वर्ग मील का यह इलाका श्रीनगर और मुजफ्फराबाद से अलग था। इसी में से 2,000 वर्ग मील का इलाका पाकिस्तान ने 1963 में चीन को दे दिया था।
इसी तरह गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके को पाकिस्तानी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा से जोड़कर वहां के जमीनी हालात बदलने की कोशिश की गई है। यह जम्मू-कश्मीर की सीमा को खत्म करने का पाकिस्तान का प्रयास है। पत्र में जम्मू-कश्मीर की पहचान को बनाए रखने के लिए संघर्षरत सभी संगठनों और दलों से ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर आगे बढ़ने की अपील की गई है।
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