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इजरायल के संसदीय चुनाव में नेतन्याहू के नेतृत्व वाला गठबंधन बहुमत के करीब

नेतन्याहू के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल करने के लिए दूसरे धड़े के सांसदों से बातचीत शुरू कर दी गई है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 06:48 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 06:48 PM (IST)
इजरायल के संसदीय चुनाव में नेतन्याहू के नेतृत्व वाला गठबंधन बहुमत के करीब
इजरायल के संसदीय चुनाव में नेतन्याहू के नेतृत्व वाला गठबंधन बहुमत के करीब

यरुशलम, प्रेट्र। इजरायल में एक साल के भीतर तीसरी बार हुए संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाला गठबंधन बहुमत के करीब है। इस गठबंधन को हालांकि बहुमत से एक-दो सीटें कम मिलने का अनुमान है। इसके बावजूद नेतन्याहू नई सरकार के गठन में जुट गए हैं। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इजरायल में पिछले एक साल से जारी सियासी गतिरोध जल्द दूर हो सकता है।

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नेतन्याहू ने मंगलवार को अपनी लिकुड पार्टी के मुख्यालय में समर्थकों से कहा, 'यह बड़ी जीत है। हम सभी मतभेदों के खिलाफ जीते हैं।' पार्टी प्रवक्ता ने बताया कि नेतन्याहू के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल करने के लिए दूसरे धड़े के सांसदों से बातचीत शुरू कर दी गई है। इजरायली मीडिया में आई खबरों के अनुसार, 81 फीसद मतपत्रों की गिनती में लिकुड पार्टी 36 सीटों के साथ सबसे आगे है। जबकि पूर्व सेना प्रमुख बेनी गेंट्ज के नेतृत्व वाली ब्लू एंड ह्वाइट पार्टी को 31 सीटों पर बढ़त मिली है।

दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के गठबंधन में शामिल अन्य दल भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इस गठबंधन में शामिल शास पार्टी और यूनाइटेड तोराह जूडिज्म को क्रमश: दस और आठ सीटें मिलती दिख रही हैं। यामिना पार्टी छह सीटों पर आगे चल रही है। इस तरह नेतन्याहू के गठबंधन को 120 सदस्यीय संसद में कुल 60 सीटों पर बढ़त मिली है। यह आंकड़ा सामान्य बहुमत से एक सीट कम है। अरब इजरायल दलों के गठबंधन को 15 सीटें मिलती दिख रही हैं। पूर्व रक्षा मंत्री एविग्डोर लिबरमैन की धर्मनिरपेक्ष यिजरायल बेइतेनु पार्टी के खाते में सात सीटें आती दिख रही हैं।

एक साल में तीसरे चुनाव

इजरायल में पिछले साल अप्रैल और सितंबर में भी 120 सदस्यीय संसद के चुनाव कराए गए थे। इन दोनों ही चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। लिकुड और ब्लू एंड ह्वाइट दलों में से कोई भी गठबंधन सरकार नहीं बना सका था। इसी के चलते तीसरी बार संसदीय चुनाव की नौबत आई।


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