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ओली ने मारी सियासी बाजी, राष्ट्रपति के चुनाव कराने के फैसले पर भड़का विपक्ष, कानूनी कार्रवाई की धमकी दी

आखिरकार ओली ने पूरे विपक्ष को एक बार फिर पटकनी दे दी है। लंबे आंदोलन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय विश्वास मत हासिल करने की मशक्कत के बीच ओली चुनाव कराने के अपने पुराने इरादों को लागू कराने में सफल रहे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 05:01 PM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 11:49 PM (IST)
ओली ने मारी सियासी बाजी, राष्ट्रपति के चुनाव कराने के फैसले पर भड़का विपक्ष, कानूनी कार्रवाई की धमकी दी
आखिरकार ओली ने पूरे विपक्ष को एक बार फिर पटकनी दे दी है।

काठमांडू, एजेंसियां। आखिरकार ओली ने पूरे विपक्ष को एक बार फिर पटकनी दे दी है। लंबे आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, विश्वास मत हासिल करने की मशक्कत के बीच ओली चुनाव कराने के अपने पुराने इरादों को लागू कराने में सफल रहे। राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने सरकार भंग करते हुए 12 और 19 नवंबर को चुनाव की घोषणा की है। इससे भड़के विपक्ष ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। नेपाली कांग्रेस ने कहा है कि वह राजनीतिक और कानूनी कार्रवाई करेगा।

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चला शक्ति प्रदर्शन का दौर

इससे पहले नेपाल में सत्ता दल और विपक्ष के बीच जबर्दस्त शक्ति प्रदर्शन का दौर चला। आखिरकार ओली ने पूरे विपक्ष को एक बार फिर पटकनी दे दी। नेपाली कांग्रेस ने इस फैसले पर राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के साथ ओली की भी आलोचना की है। नेपाली कांग्रेस ने कहा है कि 149 सांसदों का समर्थन होने के बाद भी राष्ट्रपति ने ओली के समर्थन में फैसला किया। नेपाल के सत्तारूढ़ दल में शामिल माधव कुमार ने भी राष्‍ट्रपति के फैसले की आलोचना की है।

कई दिन चली सियासी रस्‍साकशी

मालूम हो कि नेपाल की राजनीति में खलबली गुरुवार को उस समय शुरू हुई, जब कार्यवाहक प्रधानमंत्री ओली दोबारा विश्वास मत हासिल करने से पीछे हटने लगे और इसके बारे में उन्होंने राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी को भी अवगत करा दिया। शुक्रवार को शाम पांच बजे तक एक बार फिर विपक्ष को मौका दिया गया। नेपाली कांग्रेस ने शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में अन्य दलों को साथ लेकर 149 सांसदों के समर्थन का दावा किया।

विपक्ष पर भारी पड़े ओली

अचानक विपक्ष के इरादों पर पानी फेरते हुए ओली राष्ट्रपति निवास पहुंच गए और 153 सांसदों के समर्थन का दावा करते हुए राष्ट्रपति से मिले। आखिरकार लंबे आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, विश्वास मत हासिल करने की मशक्कत के बीच ओली चुनाव कराने के अपने पुराने इरादों को लागू कराने में सफल रहे। बाद में विपक्षियों की सूची में शामिल माधव कुमार ने भी देउबा की सूची में नाम होने पर आपत्ति की। कुछ अन्य सांसदों के नाम भी दोनों पक्षों की सूची में थे।

राष्ट्रपति के फैसले से ओली हुए मजबूत

एक दिन पहले तक विश्वास मत हासिल करने से पीछे हट रहे प्रधानमंत्री ओली को राष्ट्रपति के उस निर्णय से अचानक ताकत मिल गई, जिसमें राष्ट्रपति ने ओली और देउबा को रात में नोटिस दिया कि वह दोनों को ही सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं कर सकतीं हैं। दोनों के ही दावे अपर्याप्त हैं। इसके बाद देर रात प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई और सरकार भंग करके चुनाव कराने की राष्ट्रपति से सिफारिश कर दी। राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने मंत्रिमंडल की सिफारिश मानकर सरकार को भंग कर दिया।


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