Move to Jagran APP

नेपाल में विश्वास मत की जंग, पूर्व पीएम ओली की पार्टी देउबा सरकार के खिलाफ करेगी वोट

Nepal political crisis अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने फैसला लिया है कि वह निचले सदन में विश्वास मत के दौरान नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा सरकार के खिलाफ वोट करेंगे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 08:30 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 08:30 PM (IST)
केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा सरकार के खिलाफ वोट करेगी।

काठमांडू, पीटीआइ। अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने फैसला लिया है कि वह निचले सदन में विश्वास मत के दौरान नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा सरकार के खिलाफ वोट करेंगे। पार्टी की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया कि सीपीएन-यूएमएल ने काठमांडू में हुई स्थाई समिति की बैठक में यह फैसला लिया है।

loksabha election banner

उन्होंने संसद में विपक्षी बेंच में भी बैठने का फैसला किया है। ओली की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी की टास्कफोर्स ने दस सूत्रीय प्रस्तावों को आगे बढ़ाया है। हालांकि विद्रोही नेता माधव कुमार ने इस उच्चस्तरीय बैठक का बहिष्कार किया है। यूएमएल के नेताओं के भी देउबा सरकार के पक्ष में ही वोट डालने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री देउबा की सरकार के अस्तित्व के लिए यूएमएल का समर्थन अहम होगा।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हुए नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को तीस दिनों के अंदर सदन में विश्वास मत हासिल करना है। वर्तमान में 75 वर्षीय देउबा की नेपाली कांग्रेस के पास केवल 61 सदस्य हैं। उन्हें अन्य दलों का सहयोग प्राप्त है। अगर देउबा विश्वास मत हासिल कर लेते हैं, तो उन्हें अपनी सरकार चलाने के लिए 18 महीने मिल जाएंगे। उसके बाद उन्हें चुनाव कराने होंगे।

यदि वे विश्वास मत हासिल करने में असफल होंगे तो देश में अगले छह माह में चुनाव हो जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार देउबा का राजनीतिक भविष्य अगले तीस दिनों में ही तय हो जाएगा। हालांकि उन्हें अभी भी 149 संसद सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। इसमें यूएमएल के माधव नेपाल गुट के 26 सदस्य भी शामिल हैं। मौजूदा समय में निचले सदन में 271 सदस्य ही हैं। ऐसी स्थिति में उनको बहुमत जुटाने के लिए 136 मतों की आवश्यकता होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.