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नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में उठा राष्ट्रपति भंडारी की निष्पक्षता पर सवाल, जानें याचिकाकर्ताओं ने क्‍या कहा

नेपाल में संसद (प्रतिनिधि सभा) को भंग करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की निष्पक्षता को लेकर सवाल पूछे गए हैं। जानें याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में क्‍या कहा है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 07:34 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 12:14 AM (IST)
नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में उठा राष्ट्रपति भंडारी की निष्पक्षता पर सवाल, जानें याचिकाकर्ताओं ने क्‍या कहा
नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की निष्पक्षता को लेकर सवाल पूछे गए हैं।

काठमांडू, पीटीआइ। नेपाल में संसद (प्रतिनिधि सभा) को भंग करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की निष्पक्षता को लेकर सवाल पूछे गए हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 22 मई को संसद भंग करने का फैसला साबित करता है कि भंडारी केपी शर्मा ओली के अतिरिक्त किसी अन्य को प्रधानमंत्री पद पर नहीं देखना चाहती थीं।

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मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ संसद भंग करने के फैसले के खिलाफ दायर 30 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें भंग संसद के सदस्य रहे 146 नेताओं के हस्ताक्षर वाली याचिका भी शामिल है। भंडारी ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के 149 सांसदों के समर्थन वाले दावे को नकारते हुए कार्यवाहक प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर संसद को भंग किया था।

करीब पांच महीने पहले भी ओली की सिफारिश मानते हुए भंडारी ने प्रतिनिधि सभा भंग कर दी थी लेकिन उनके फैसले को सुप्रीम कोर्ट पलट दिया था और संसद का निचला सदन बहाल कर दिया था। प्रधानमंत्री ओली 275 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हारने के बाद इस समय देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं।

सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील गोविंद बांदी ने कहा, देउबा का दावा नकारकर भंडारी ने स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर वह ओली के अलावा किसी अन्य को नहीं देखना चाहतीं। देउबा के दावे को नकारने के कारण के संबंध में भंडारी जवाब दें।

उन्होंने अल्पमत सरकार की सिफारिश पर संसद भंग करने का असंवैधानिक कार्य क्यों किया ? भंडारी ने देउबा के दावे की प्रमाणिकता परखने की जरूरत क्यों नहीं महसूस की ? याचिकाकर्ताओं की ओर से छह वकीलों ने चार घंटे तक अपने बिंदु रखे। संविधान पीठ पहले संयुक्त विपक्ष की ओर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।

इस पर 146 पूर्व सांसदों के दस्तखत हैं। इनमें से 23 ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के हैं। संसद भंग मामले में रोजाना सुनवाई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के कार्यालयों से जवाब प्राप्त होने के बाद शुरू हुई है। पीठ ने दोनों कार्यालयों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। 


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