नेपाल के पीएम ओली ने संसद भंग करने का किया बचाव, कहा- अदालतें प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकती
समाचार पत्र हिमालयन टाइम्स के मुताबिक गुरुवार को अटार्नी जनरल के जरिये ओली का जवाब शीर्ष कोर्ट को मिल गया। जवाब में ओली ने कहा कोर्ट का कार्य संविधान और मौजूदा कानूनों को परिभाषित करना है क्योंकि वह विधायी या कार्यकारी निकायों की भूमिका नहीं निभा सकता है।
काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद को भंग करने के अपनी सरकार के विवादास्पद फैसले का बचाव किया और कहा कि न्यायपालिका देश के प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं कर सकती। मीडिया खबरों के मुताबिक, संसद भंग करने को लेकर शीर्ष कोर्ट में दायर याचिकाओं के जवाब में ओली ने गुरुवार को अपना बयान दाखिल कराया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नियुक्त करने की जिम्मेदारी कोर्ट के पास नहीं है, क्योंकि वह राज्य के विधायी और कार्यकारी कार्य नहीं कर सकता। बता दें कि राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री की सिफारिश पर पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को देश की संसद को भंग कर दिया और 12 तथा 19 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा की।
समाचार पत्र हिमालयन टाइम्स के मुताबिक, गुरुवार को अटार्नी जनरल के जरिये ओली का जवाब शीर्ष कोर्ट को मिल गया। जवाब में ओली ने कहा, कोर्ट का कार्य संविधान और मौजूदा कानूनों को परिभाषित करना है, क्योंकि वह विधायी या कार्यकारी निकायों की भूमिका नहीं निभा सकता है। प्रधानमंत्री नियुक्त करने का कार्य कोर्ट का नहीं है, क्योंकि वह राज्य की विधायिका और कार्यपालिका का काम नहीं करा सकता।
संसद को भंग किए जाने के खिलाफ 30 से ज्यादा रिट याचिकाएं की गईं दाखिल
गौरतलब है कि कोर्ट ने नौ जून को प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति कार्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा था। संसद को भंग किए जाने के खिलाफ 30 से ज्यादा रिट याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इनमें से कुछ याचिकाएं विपक्षी गठबंधन ने भी दाखिल की है। शीर्ष कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू की और 23 जून से इस मामले पर नियमित सुनवाई करेगा। नेपाल में गत वर्ष 20 दिसंबर से ही राजनीतिक संकट चल रहा है।