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ऊर्जा की जरूरतों के लिए चीन की मदद लेगा नेपाल, भारत पर निर्भरता करेगा खत्‍म

2015 में ऊर्जा क्षेत्र की जरूरतों के लिए भारत से चीन की ओर मुड़ गया, जब मधेशियों ने भारत नेपाल बॉर्डर पर आर्थिक नाकाबंदी कर दी थी जिससे नेपाल को तेल की कमी का सामना करना पड़ा था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 07:27 PM (IST)
ऊर्जा की जरूरतों के लिए चीन की मदद लेगा नेपाल, भारत पर निर्भरता करेगा खत्‍म
ऊर्जा की जरूरतों के लिए चीन की मदद लेगा नेपाल, भारत पर निर्भरता करेगा खत्‍म
काठमांडू, पेट्र। नेपाल सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समिति का गठन किया है, जो चीन के साथ द्धिपक्षीय समझौते पर जमीन तैयार करेगा और बिजली के क्षेत्र में दशकों पुरानी भारत की निर्भरता को खत्‍म करेगा। जून के महीने में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीजिंग दौरे के दौरान नेपाल और चीन के बीच ऊर्जा क्षेत्र में एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्‍टैंडिंग) पर हस्‍ताक्षर किया है। 2015 में ऊर्जा क्षेत्र की जरूरतों के लिए भारत से चीन की ओर मुड़ गया, जब मधेशियों ने भारत नेपाल बॉर्डर पर आर्थिक नाकाबंदी कर दी थी जिससे नेपाल को तेल की कमी का सामना करना पड़ा था।
भारत के करीब तराई क्षेत्र के भारतीय मूल निवासी मधेसियों ने आरोप लगाया था कि नेपाल के तत्कालीन सरकार द्वारा जारी किए गए नए संविधान ने उन्हें पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। आर्थिक नाकेबंदी के दौरान नेपाल में भारत विरोधी भावनाएं ऊान पर थीं। इसी समय नेपान ने चीन के साथ आधारभूत संरचना और ऊर्जा क्षेत्र में समझौते को मजबूत करना शुरू कर दिया। एक अधिकारी ने बताया कि चीन के साथ एमओयू के प्रभावी होने पर ऊर्जा सचिव अनूप कुमार उपाध्‍याय को सात सदस्‍यीय समिति का सह अध्‍यक्ष नियुक्‍त किया गया है।
पैनल में नेपाल बिजली प्राधिकरण और ऊर्जा मंत्रालय के सदस्‍यों को शामिल किया गया है। समिति की बैठक 27 और 28 सितंबर को काठमांडू में आयोजित की जाएगी। समिति ने ऊर्जा क्षेत्र में सरकारी और निजी क्षेत्रों के निवेश को प्रोत्‍साहन देने के लिए जमीन तैयार करना शुरू कर दिया है। नेपाल ने ऊर्जा क्षेत्र में ऐसा ही समझौता बांग्‍लादेश में इसी महीने किया है।  

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