NASA का जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप अपने लक्ष्य तक पहुंचा, पृथ्वी से 1 मिलियन मील है दूर
NASA Mission अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) का जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST) सोमवार को करीब एक महीने का सफर तय करने के बाद मंजिल पर पहुंच गया। यहां से वह हमारे ब्रह्मांड के जन्म को देख पाएगा।
वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) का जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST) सोमवार को करीब एक महीने का सफर तय करने के बाद मंजिल पर पहुंच गया। यहां से वह हमारे ब्रह्मांड के जन्म को देख पाएगा। इसे एक माह पहले 25 दिसंबर फ्रेंच गुयाना (French Guiana) के गुयाना स्पेस सेंटर से लांच किया गया था। इसे शक्तिशाली एरियन-5 रॉकेट (Ariane-5 Rocket) के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया। नासा का जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) सोमवार को नासा ने अपने ब्लाग रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी थी।
🏠 Home, home on Lagrange! We successfully completed our burn to start #NASAWebb on its orbit of the 2nd Lagrange point (L2), about a million miles (1.5 million km) from Earth. It will orbit the Sun, in line with Earth, as it orbits L2. https://t.co/bsIU3vccAj #UnfoldTheUniverse pic.twitter.com/WDhuANEP5h
— NASA Webb Telescope (@NASAWebb) January 24, 2022
इतने लंबे सफर के बाद जहां जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप अब पहुंचा है उसे दूसरे लैगरांज बिंदु (Lagrange point or L2) के तौर पर जाना जाता है। यह अंतरिक्ष में वह जगह है जहां भेजी गई वस्तु रुकी रहती है। लैगरांज बिंदु पर दो बड़े द्रव्यमान किसी छोटी वस्तु को अपनी ओर खींचने के लिए एक बराबर ताकत लगाते हैं। अंतरिक्ष मे इस जगह का इस्तेमाल स्पेसक्राफ्ट के ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जाता है।
जेम्स वेब को हबल टेलिस्कोप (Hubble Telescope) का उत्तराधिकारी माना गया है।इसके जरिए 13 बिलियन प्रकाशवर्ष दूर तक देखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। टेलिस्कोप के जरिए ब्रह्मांड के रहस्य पर से पर्दा हटेगा। जेम्स वेब टेलिस्कोप को पृथ्वी और चांद से दूर तैनात किया गया है।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप दुनिया का सबसे शक्तिशाली टेलिस्कोप है जिसे नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और कनाडाई स्पेस एजेंसी ने मिलकर बनाया है। इसमें एक गोल्डन मिरर लगा हुआ है जिसकी चौड़ाई करीब 21.32 फीट है। यह मिरर बेरिलियम से बने 18 षटकोण टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया है। हर टुकड़े पर 48.2 ग्राम सोने की परत चढ़ी हुई है जिससे यह एक परावर्तक की तरह काम करता है।